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इस औरत ने वो कर दिखाया जिसे सोचकर ही आपके पसीने छूट जाएंगे

इन तस्वीरों को देखकर महिला की बहादुरी का अंदाजा सहज ही लग जाएगा. सतह से 1000 फुट की ऊंचाई को दो हाथों की मदद से पार कर लेने वाली इस महिला की दिलेरी किसी को भी प्रभावित करने के लिए काफी है.

Rahel Schelb Rahel Schelb
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 23 सितंबर 2015,
  • अपडेटेड 6:45 PM IST

इन तस्वीरों को देखकर आपको इस महिला की बहादुरी का अंदाजा लग जाएगा.  जमीनी सतह से 1000 फुट की ऊंचाई को दो हाथों की मदद से पार कर लेने वाली इस महिला की दिलेरी किसी को भी प्रभावित कर सकती है.

स्विट्जरलैंड की 33 साल की राहेल स्कैल्ब ने चीन के युन्नान प्रांत के ली मिंग रीजन की इस विशालकाय सैंडस्टोन वाॅल को पार कर साहस और धीरज की एक मिसाल पेश की है.

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25 दिनों से अधिक की इस चढ़ाई में उन्होंने 60 से अधिक रूट लिए. पेशे से टीचर स्कैल्ब को खतरनाक पहाड़ों पर चढ़ने का शौक है.

वह कहती हैं कि एक सिंगल पिच रूट के लिए हम 30 से 60 मिनट का वक्त लेते हैं लेकिन दरारों पर चढ़ना पूरे दिन का काम होता है. इसका मतलब ये है कि उन्होंने सुबह के वक्त इस वाॅल की सतह से चढ़ाई शुरू की और दोपहर तक ही वह किसी प्वाइंट पर पहुंच सकीं.

उनका मानना है कि हर पहाड़ी रास्ता चढ़ने के दौरान कुछ सिखाता चलता है. जब हम पहाड़ पर चढ़ना शुरू करते हैं तो हमारे दिमाग में सिर्फ एक यही बात घूमती रहती है कि हमें टाॅप पर पहुंचना है. इसके लिए हम रास्ते तलाशते हैं और यहीं हमारी रचनात्मकता की भी जरूरत पड़ती है.

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अगर आपने हाल में ही चढ़ाई शुरू की है तो बड़ी दरारें चढ़ना बहुत मुश्किल हो सकता है. ज्यादातर लोग पैरलल जाना पसंद करते हैं. अपनी पसंद के बारे में बताते हुए वह कहती हैं कि उन्हें हर तरह का पहाड़ी रास्ता पसंद है.

हालांकि उनका यह भी कहना है कि यह एक दर्दनाक सफर होता है जिसमें आपको अपने शरीर के दर्द को काबू करना आना चाहिए. उनके अनुसार, अगर आपको अपनी त्वचा और पैंट से बहुत प्यार है तो आपको दरारों की चढ़ाई का ख्याल छोड़ देना चाहिए.

अपने इस सफर में उन्हें हर तरह की दरारें मिलीं. हालांकि उन्होंने अपने देश में भी ऐसे कारनामे को अंजाम दिया है लेकिन वहां और यहां की परिस्थिति काफी अलग थी. वह बताती हैं कि ऐसे रास्तों पर चढ़ने के लिए आपको सबसे अधिक अपने हाथों पर भरोसा करना चाहिए. अगर आपके हाथ दरारों को पकड़ने, टटोलने में माहिर हैं तो इससे बेहतर कुछ हो ही नहीं सकता.

राहेल बताती हैं कि चढ़ाई के दौरान दरारों पर मजबूत पकड़ होना बहुत जरूरी है और चढ़ाई जितनी मुश्किल होती है उसे पूरा करने में उनको उतना ही मजा आता है.

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