
सूखाग्रस्त महाराष्ट्र के मराठवाड़ा में दिसंबर महीने में ही 112 किसानों ने खुदकुशी कर ली. 2014 के मुकाबले यह संख्या दोगुनी है. अधिकारियों के मुताबिक 2015 में खुदकुशी करने वाले किसानों की यह संख्या बीते 10 साल में सबसे ज्यादा है. मराठवाड़ा के आठ जिलों में 1 जनवरी से अब तक हर सप्ताह 20 से 30 किसानों ने आत्महत्या की है.
पंकजा मुंडे ने सुझाया रास्ता
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक मराठवाड़ा के आठ जिलों में 2015 में 1,109 किसानों ने खुदकुशी कर ली. इनमें सबसे ज्यादा 299 किसान बीड़ जिले के थे. आकंड़े 27 दिसंबर तक के हैं. दिवंगत नेता गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा मुंडे बीड़ से ही सांसद हैं. उन्होंने महाराष्ट्र में इजरायल मॉडल पर खेती करने की वकालत की है. उन्होंने कहा कि एक बार हमने इजरायल के तरीके से खेती करना शुरू कर दिया तो मराठवाड़ा के किसानों को बहुत फायदा होगा.
जीरो सुसाइड प्लान वाले इलाके में सबसे ज्यादा सुसाइड
बीड़ के बाद नांदेड़ में सबसे ज्यादा 187 किसानों ने खुदकुशी की. तीसरे नंबर पर उस्मानाबाद इलाका है, जहां राज्य सरकार ने जीरो सुसाइड प्लान लागू किया है. बावजूद इसके यहां 160 किसानों ने आत्महत्या कर ली. 139 के आंकड़े के साथ औरंगाबाद चौथे नंबर पर है. अधिकारियों का कहना है कि केंद्र और राज्य सरकारों को इस स्थिति से निपटने के लिए कुछ सूझ नहीं रहा है. जिन 1,109 किसानों ने आत्महत्या की है उनमें से 698 के ही परिवार मुआवजे के हकदार हैं, जिन्हें 1-1 लाख रुपये की मदद दी जा चुकी है.
सबकी एक ही समस्या- कर्ज कैसे चुकाएं
सरकार की नजर में इन किसानों के आत्महत्या करने के कारण इनकी बीमारी या पारिवारिक दिक्कतें थीं. हालांकि अधिकारियों ने खुदकुशी से इनकार नहीं किया है. लेकिन किसानों का कहना है कि उन पर कर्ज चढ़ा है. फसल हुई नहीं तो कर्ज कैसे चुकाएं. किसी किसान के पास पांच एकड़ जमीन थी तो किसी के पास दो एकड़. लेकिन इस जमीन पर अबकी बार कोई फसल न हो सकी और वे बैंक का कर्ज नहीं चुका पाए, जिसकी वजह से उन्होंने खुदकुशी कर ली.