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संसदीय सचिव मामला: AAP के 21 विधायकों की सीट पर 14 जुलाई को होगी सुनवाई

चुनाव आयोग ने 14 जुलाई को दिल्ली सरकार के संसदीय सचिव बनाए गए सभी 21 विधायकों को सुनवाई के लिए नोटिस भेजा है. आयोग को विधायकों ने अपने जवाब में कहा था कि वे सरकार से वेतन भत्ते, वाहन, आवास नहीं लेते, लिहाजा उनका लाभ का पद नहीं है.

चुनाव आयोग करेगा सुनवाई चुनाव आयोग करेगा सुनवाई
सुरभि गुप्ता/संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 28 जून 2016,
  • अपडेटेड 8:36 AM IST

हटा दिया जाए या बचा लिया जाए, कुछ इसी अंदाज में चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों को लगे आरोपों पर जवाब देने को कहा है. संसदीय सचिव बनाए गए AAP के 21 विधायकों की सीट बचेगी या जाएगी इस पर 14 जुलाई को चुनाव आयोग सुनवाई करेगा.

लाभ का पद है संसदीय सचिव
संविधान के मुताबिक संसदीय सचिव लाभ का पद है. लाभ के पद पर विधायकों का बैठना, उन्हें विधायिका से अलग करता है. साथ ही संविधान मंत्रियों के लिए संसदीय सचिव नियुक्त करने की इजाजत नहीं देता. विधायिका के कुल सदस्यों के 10 फीसद को ही मंत्री या संसदीय सचिव बनाया जा सकता है.

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पिछले दरवाजे से बनाया कार्यपालिका का हिस्सा
केजरीवाल ने अपने अलावा छह मंत्री बनाए यहां तक तो ठीक रहा. एक विधायक को अपना संसदीय सचिव बनाया वो भी ठीक था, लेकिन 21 विधायकों को अन्य छह मंत्रियों के लिए संसदीय सचिव बना दिया. संवैधानिक प्रश्न यहीं से शुरू हुआ क्योंकि विधायिका का हिस्सा रहे विधायकों को पिछले दरवाजे से कार्यपालिका का हिस्सा बना दिया गया. संसदीय सचिवों को विधानसभा में कमरे और अन्य सुविधाएं भी दी जाती हैं.

राष्ट्रपति ने चुनाव आयोग से मांगी राय
संविधान का यह मामला राष्ट्रपति तक पहुंचा. राष्ट्रपति ने चुनाव आयोग से राय मांगी. आयोग ने इन विधायकों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा, विधायकों ने उल्टे चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र पर ही सवाल उठा दिए. ये कहा कि आयोग को राष्ट्रपति को सलाह देने का संवैधानिक अधिकार नहीं है.

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राष्ट्रपति को सलाह देना चुनाव आयोग का अधिकार
आयोग ने याचिकाकर्ता से विधायकों के जवाब पर प्रत्युत्तर दायर करने को कहा. याचिकाकर्ता प्रशांत पटेल ने आयोग को बताया कि राष्ट्रपति को आयोग से सलाह लेने और आयोग को मामले की पड़ताल कर राष्ट्रपति को सलाह देने का संवैधानिक अधिकार और प्रावधान दोनों है.

सवाल लाभ लेने का नहीं, बल्कि पद का है
विधायकों ने अपने जवाब में ये भी कहा था कि वे सरकार से वेतन भत्ते, वाहन, आवास नहीं लेते, लिहाजा उनका लाभ का पद नहीं है. लेकिन संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप के मुताबिक सवाल लाभ लेने का नहीं बल्कि पद का है, जिसके जरिए वो लाभ लेने के अधिकारी हैं. फिलहाल चुनाव आयोग ने 14 जुलाई को दिल्ली सरकार के संसदीय सचिव बनाए गए सभी 21 विधायकों को सुनवाई के लिए नोटिस भेजा है.

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