
राष्ट्रपति ने दिल्ली के उपराज्यपाल को लाभ का पद संशोधन विधेयक भले लौटा दिया हो, लेकिन चुनाव आयोग में सुनवाई की प्रक्रिया बदस्तूर जारी रहेगी. 'आज तक'- 'इंडिया टुडे' टीवी पर सबसे पहले ये खबर दिखाए जाने के बाद आयोग ने इस मामले में चल रही प्रक्रिया को तेज करने का मन बना लिया है.
चुनाव आयोग की रिपोर्ट पर होगी अगली कार्रवाई
अब जवाब दाखिल करने और सुनवाई भी जल्द से जल्द तय की जाएगी. यानी अब इस मामले में अगली और निर्णायक कार्रवाई चुनाव आयोग की रिपोर्ट के आधार पर ही होगी. आयोग के
आला अधिकारियों के मुताबिक फिलहाल तो लाभ के पद के दायरे में आए संसदीय सचिव बनाए गए 21 विधायकों के जवाब पर याचिकाकर्ता वकील प्रशांत पटेल से रिज्वाइंडर मांगा गया है.
इसके मिलने के बाद आयोग अगली प्रक्रिया शुरू करेगा.
विधायकों ने कहा- हम लाभ के पद पर नहीं
विधायकों ने अपने जवाब में खुद को लाभ के पद पर नहीं होने की दलील दी है. उन्होंने कहा है कि वो सरकार से वेतन-भत्ते या गाड़ी की सुविधाएं नहीं लेते. लिहाजा संसदीय सचिव का पद
लाभ का पद नहीं है. आयोग के सूत्रों के मुताबिक अब 21 विधायकों को सुनवाई के लिए आयोग मुख्यालय में बुलाया जाएगा.
सुनवाई के बाद राष्ट्रपति को रिपोर्ट भेजेगा आयोग
इसकी प्रक्रिया भी आयोग तय करेगा कि 21 विधायकों को बुलाकर एक साथ ही सुनवाई की जाए या फिर अलग-अलग बुलाकर व्यक्तिगत तौर पर उन्हें सुना जाए. सुनवाई के बाद तमाम तथ्यों
को ध्यान में रखकर आयोग अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेजेगा. जाहिर है कि उसमें कार्रवाई की सिफारिश भी होगी.
विधायकों ने दी चुनाव आयोग के न्याय क्षेत्र को चुनौती
इन विधायकों ने आयोग को भेजे जवाब में चुनाव आयोग के न्याय क्षेत्र को ही चुनौती दे दी है. इनकी दलील है कि जीएनसीटी एक्ट 1991 की धारा 15 के तहत उन्हें अयोग्य ठहराने की
याचिका पर राष्ट्रपति को सलाह देने का कोई न्यायिक अधिकार नहीं बनता.
राष्ट्रपति को सलाह देने का चुनाव आयोग को कानूनी हक
अपने रिज्वाइंडर में याचिकाकर्ता का जवाब है कि विधायकों ने शायद इस बाबत होमवर्क नहीं किया है. संविधान के अनुच्छेद 102 और 192 को एनसीटी एक्ट की धारा 15 के साथ देखें तो
साफ हो जाता है कि राष्ट्रपति को सलाह देने का न्यायिक अधिकार चुनाव आयोग को है.
कार्यपालिका का हिस्सा बना दिए गए 21 विधायक
रिज्वाइंडर में कहा गया है कि ये सभी 21 विधायक लाभ के पद पर हैं. पहले ये सभी विधायिका का हिस्सा थे, लेकिन संसदीय सचिव बनाकर इनको कार्यपालिका का हिस्सा बना दिया गया. ये
सचिवालय में बैठ रहे हैं और फाइल्स देख रहे हैं. ये ही तो लाभ का पद है.