
पीएसएलवी-सी37 की उड़ान में 3 भारतीय उपग्रह भी हैं. इनमें कार्टोसैट-2 सीरीज का सैटेलाइट शामिल है. भारत में विकास और रक्षा के क्षेत्र में इस सीरीज के उपग्रह बड़े काम के हैं.
अत्याधुनिक सेंसर से लैस उपग्रह
कार्टोसैट-2 सीरीज के उपग्रहों में पैनक्रोमैटिक और मल्टीस्पेक्ट्रल इमेज सेंसर लगे हैं. इनसे रिमोट सेंसिंग में भारत की काबिलियत सुधरेगी. इन उपग्रहों से मिले डाटा का इस्तेमाल सड़क निर्माण के काम पर निगरानी रखने, बेहतर लैंड यूज और जल वितरण के लिए होगा.
धरती की तस्वीरें लेने में नहीं कोई सानी
714 किलो के ये सैटेलाइट आसमान से जमीन की बेहतरीन तस्वीरें लेने में सक्षम है. जानकारों की राय में इनकी मदद से एक दफ्तर में बैठे-बैठे दुनिया के किसी भी कोने का सटीक हाल जाना जा सकता है. इस क्षमता के चलते मैप रेग्युलेशन में कार्टोसैट उपग्रह बेहद कारगर हैं.
दुश्मन पर रखेंगे नजर
दुश्मनों के सैनिक ठिकानों में गाड़ियों तक की तादाद बताने में ये उपग्रह कारगर हैं. लिहाजा रक्षा क्षेत्र में भी इन उपग्रहों की खासी अहमियत है. खासकर भारत की सरहद की निगरानी में इन उपग्रहों की भेजी तस्वीरें काफी काम आ सकती हैं.
शहरी विकास में मदद
सरकार का इरादा कार्टोसैट सैटेलाइट्स को शहरी विकास और स्मार्ट सिटी के विकास की योजनाओं में भी इस्तेमाल करने का है. साथ ही इनके जरिये पर्यावरण को होने वाले नुकसान पर भी नजर रखी जा सकेगी.