
मौसम की मार से हमारे अन्नदाता तंगहाल हैं. देशभर के खेतों में खराब फसल का अंबार है. किसान हताश हैं और उनकी यह हताशा आत्महत्या में बदल रही है. दुखद यह है कि तमाम सरकारी आश्वासनों के बाद भी किसानों के सुसाइड करने की घटना थमने का नाम नहीं ले रही है.
महाराष्ट्र सरकार की ओर से हाल ही जारी आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी से मार्च
2015 तक प्रदेश में 601 किसान आत्महत्या कर चुके हैं. यानी महाराष्ट्र में हर रोज करीब 7 किसान सुसाइड कर रहे हैं.
अंग्रेजी अखबार 'द टाइम्स ऑफ इंडिया' की खबर के मुताबिक, साल 2014 में महाराष्ट्र में करीब 1981 किसानों ने सुसाइड किया था. इस हिसाब से पिछले साल की तुलना में इस बार सुसाइड का आंकड़ा करीब 30 फीसदी तक बढ़ गया है. ये हालात ऐसे दौर के हैं, जब महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार लगातार किसानों के मुद्दे पर गंभीरता से ध्यान देने की बात कर रही है.
महाराष्ट्र के विदर्भ में सुसाइड के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस भी विदर्भ इलाके से हैं. जनवरी से लेकर मार्च तक विदर्भ में 319 किसानों ने सुसाइड किया था. विदर्भ जनांदोलन कमेटी के किशोर तिवारी ने बताया, 'हमें 1,875 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से दिए जाते हैं, साथ ही बैंक सरकार के निर्देशों को नजरअंदाज करते हुए लगातार किसानों से पैसे मांगते रहते हैं.'