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1963 में भारत आए चीनी सैनिक की होगी 'घर वापसी'!

77 वर्षीय वांग जनवरी 1963 में रास्ता भटक गया और पहाड़ों जंगलों से गुजरते हुए मैं भारत के तवांग इलाके में चला गया, जो अरूणाचल प्रदेश में है. वहां उसे भारतीय रेड क्रॉस की जीप मिली, जिन्होंने उसे भारतीय सेना के हवाले कर दिया. भारत के अफसर कहते हैं कि मैं गैर-कानूनी ढंग से भारत में घुसा था.

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लव रघुवंशी
  • नई दिल्ली,
  • 04 फरवरी 2017,
  • अपडेटेड 9:46 AM IST

1963 में सीमा पार कर भारत में घुसे चीनी सैनिक की वापसी की उम्मीदें परवान चढ़ने लगी हैं. भारत में आने के बाद 50 साल से भी ज्यादा समय होने पर पहली बार उसकी अपने भाई से बात हो पाई.

इस पर चीन की तरफ से कहा गया है कि वह भारत के साथ मिलकर उसे वापस लाने की कोशिश कर रहा है. इस सैनिक का नाम वांग ची है. चीनी मीडिया की तरफ से कहा गया है कि वांग के वापस लौटने से दोनों देशों के आपसी रिश्ते मजबूत होंगे. वांग को भारत में राज बहादुर के नाम से जाना जाता है.

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1963 में भटक गया था रास्ता
77 वर्षीय वांग जनवरी 1963 में रास्ता भटक गया और पहाड़ों जंगलों से गुजरते हुए मैं भारत के तवांग इलाके में चला गया, जो अरूणाचल प्रदेश में है. वहां उसे भारतीय रेड क्रॉस की जीप मिली, जिन्होंने उसे भारतीय सेना के हवाले कर दिया. भारत के अफसर कहते हैं कि मैं गैर-कानूनी ढंग से भारत में घुसा था.

MP के एक गांव में रह रहा वांग
वांग ने कई साल भारतीय जेलों में गुजारे. फिर 1969 में अदालत के फैसले के बाद उसे रिहा कर दिया गया. पुलिस उसे मध्य प्रदेश के तिरोदी गांव लेकर चली गई. वांग तब से इसी गांव में रह रहा है.

वांग के भारत में तीन बच्चे
वांग ने भारत सरकार और बीजिंग से इजाजत मांगी थी कि वह चीन जाकर अपने भाई-बहनों से मिल सके. वांग का मामला भारत और चीन दोनों के लिए ही काफी उलझा हुआ है. यहां उसकी शादी हो चुकी है और तीन बच्चे हैं. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि हम इस मामले को लेकर गृह मंत्रालय के साथ संपर्क में हैं.

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