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आश्रम में असलहों का अड्डा: हथियारों का जखीरा देख दंग रह गई पुलिस!

दिल्ली कूच के बहाने एक स्वाधीन भारत संगठन ने मथुरा के जवाहर बाग में सिर्फ चंद घंटे के लिए ऐसा डेरा डाला कि दो साल से भी ज्यादा बीत गए, लेकिन डेरा नहीं हटा. जवाहर बाग पर कब्जा कर लिया गया. संगठन सामानांतर सरकार चलाने लगा. यहां कानून का नहीं, बस संगठन का ही राज चलता था. तभी तो आमने-सामने की खूनी टक्कर के बाद जब जवाहर बाग खाली हुआ, तो पीछे हथियारों का इतना बड़ा जखीरा मिला कि खुद पुलिसवालों की आंखें भी फटी की फटी रह गईं.

जवाहर बाग में मिला हथियारों का जखीरा जवाहर बाग में मिला हथियारों का जखीरा
मुकेश कुमार/अनुज मिश्रा
  • मथुरा,
  • 03 जून 2016,
  • अपडेटेड 11:14 PM IST

दिल्ली कूच के बहाने एक स्वाधीन भारत संगठन ने मथुरा के जवाहर बाग में सिर्फ चंद घंटे के लिए ऐसा डेरा डाला कि दो साल से भी ज्यादा बीत गए, लेकिन डेरा नहीं हटा. जवाहर बाग पर कब्जा कर लिया गया. संगठन सामानांतर सरकार चलाने लगा. यहां कानून का नहीं, बस संगठन का ही राज चलता था. तभी तो आमने-सामने की खूनी टक्कर के बाद जब जवाहर बाग खाली हुआ, तो पीछे हथियारों का इतना बड़ा जखीरा मिला कि खुद पुलिसवालों की आंखें भी फटी की फटी रह गईं.

कई बार जहां एक चाकू के मिलने भर से पुलिस आर्म्स एक्ट की सख्त धाराओं के तहत लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज देती है, वहीं भगवान कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा के बीचों-बीच सालों से जमे एक धार्मिक संगठन के लोग धर्म-कर्म की आड़ में हथियारों का जखीरा इकट्ठा करते रहे और सबकुछ जानते हुए भी पुलिस प्रशासन उन्हें रोक नहीं सकी. इसे इंटेलिजेंस फेल्योर का नाम दें या फिर जानबूझ कर सच्चाई से मुंह फेरने की लापरवाही. सत्याग्रह के बैनर तले दंगाई हथियार इकट्ठा करते रहे.

भारत विधिक वैचारिक सत्याग्रही संस्था का काम गुंडागर्दी, अवैध कब्जा और आसपास रहने वालों को सताना है. हैरान करने वाली बात ये कि इस संस्था ने दिल्ली में धरना-प्रदर्शन के नाम पर मथुरा में अड्डा जमाया और दो साल तक जवाहरबाग में जमे रहे. मथुरा के इन सत्याग्रहियों ने एक दिन में जो सत्यानाश किया वो पुलिस के लिए हजम करना भारी पड़ रहा है. भयावह गोलीकांड में नुकसान को झेलने के बाद जब पुलिस ने अड्डे को कब्जे में किया तो वहां से हथियारों का जखीरा बरामद हुआ.

आश्रम बना आर्म्स डिपो!

  •  315 बोर के 42 देसी कट्टे
  • 12 बोर के 3 तमंचे
  • 312 बोर के 4 रायफल
  • 315 बोर की दो रायफल
  • 1 लाइसेंसी बंदूक
  • 315 बोर के 90 कारतूस
  • 312 बोर के 99 कारतूस और खोखे
पेड़ पर छुपाए हथियार
पुलिस का यहां तक कहना है कि इन लोगों ने जवाहर बाग में छोटे-छोटे बंकर बनाकर और पेड़ों पर असलहे छुपाया हुआ था. यही वजह है कि करीब 15 घंटे बाद भी असलहों के मिलने का सिलसिला अभी पूरी तरह रुका नहीं है. इतनी बड़ी तादाद में असलहों का मिलना ही ये साबित करता है कि जवाहर बाग पर कब्जा जमाए लोगों के दिमाग में इतने दिनों से क्या चल रहा था. वो अपनी मांगें मनवाने के लिए कितने अराजक हो गए थे. उनका सरगना कैसे एक समानांतर सरकार चला रहा था.

पुलिस पर किया हमला
शायद यही वजह है कि गुरुवार की शाम करीब साढ़े चार बजे पुलिस जवाहर बाग की दहलीज पर पहुंची ही थी कि बाग में काबिज लोगों ने सीधे पुलिसवालों पर हमला कर दिया. हमला भी ऐसे-वैसे नहीं बल्कि गोली और बमों से. महिलाएं हथियारों के साथ पेड़ों के ऊपर चढ़ी हुई थीं और लगातार पुलिसवालों को निशाना बना कर फायरिंग कर रही थी. जवाहर बाग पर ये कब्जा मार्च 2014 से शुरू हुआ था. मध्य प्रदेश से इस संगठन के लोगों ने दिल्ली के लिए एक सत्याग्रह यात्रा की शुरुआत की थी.

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