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मैगजीन के कवर पर छपी इस तस्वीर की सच्चाई आपको चौंका देगी

एक ट्रांसजेंडर का एक नामी मैगजीन के कवर पर आना अपने आप में एक बहुत बड़ी कामयाबी है और ये कोई इकलौता उदाहरण नहीं है.

केरल में इतिहास बना रहे हैं ट्रांसजेंडर केरल में इतिहास बना रहे हैं ट्रांसजेंडर
भूमिका राय
  • केरल ,
  • 21 जुलाई 2016,
  • अपडेटेड 11:49 AM IST

एक ओर जहां कुछ दिन पहले कोच्च‍ि‍ की सड़कों पर कुछ ट्रांसजेंडर हिंसा का शिकार हुए थे वहीं दूसरी ओर इसी समुदाय के कुछ लोग इसी शहर में रहकर कुछ ऐसा कर रहे हैं, जो अब तक असंभव लगता था.

भले ही कितनी भी आधुनिकता आ गई हो, साक्षरता का स्तर बढ़ा हो लेकिन सच्चाई यही है कि समाज आज भी इन्हें स्वीकार करने से हिचकिचाता है. परिस्थितियां कुछ ऐसी बना दी जाती हैं कि सम्मान के साथ रहना मुश्क‍िल हो जाता है. लेकिन पहल हो चुकी है...इसी समुदाय के कुछ लोग आगे बढ़कर इतिहास रच रहे हैं.

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एक ट्रांसजेंडर का एक नामी मैगजीन के कवर पर आना अपने आप में एक बहुत बड़ी कामयाबी है और ये कोई इकलौता उदाहरण नहीं है. कोच्चि‍ शहर में ही एक ट्रांसजेंडर एक प्रतिष्ठित रेस्त्रां में कैशियर हैं.

24 साल की दीप्त‍ि नायर का केरल की नामी मैगजीन वनिता पर आना न केवल उनके लिए बड़ी उपलब्धि है, बल्क‍ि ये समाज के लिए भी बहुत खास है. दीप्त‍ि दो साल पहले तक शिनोज थीं लेकिन आज वो एक सफल मॉडल हैं.

कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर रहने वाली 29 साल की तृप्त‍ि कोच्चि‍ के एक फेमस रेस्त्रां Pappadavada में कैशियर हैं. तृप्त‍ि एक ट्रांसजेंडर हैं और अपने पैरों पर खड़ी हैं.

तृप्त‍ि कहती हैं कि दुनिया में कौन ऐसा होगा जो भीख मांगकर जीना चाहेगा. ट्रांसजेंडर कभी भी आगे नहीं बढ़ पाए क्योंकि लोगों ने उन्हें समाजिक स्तर पर कभी स्वीकार ही नहीं किया. उन्हें काम करने का मौका ही नहीं दिया. वो बताती हैं कि जब उन्होंने यहां नौकरी शुरू की तो रेस्त्रां के मालिक के अलावा उन्होंने किसी को भी ये नहीं बताया था कि वो ट्रांसजेंडर हैं. वो बताती हैं कि उनके मन में लोगों की सोच को लेकर एक बड़ा डर था. एक महीने बाद, तृप्त‍ि ने सबको सच्चाई बता दी लेकिन अच्छी बात ये रही कि किसी ने भी तृप्त‍ि के साथ बुरा व्यवहार नहीं किया. रेस्त्रां के सभी लोग उन्हें छेची कहते हैं, जिसका मतलब है बड़ी बहन.

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तीन साल पहले तक तृप्त‍ि शेट्टी, किरण शेट्टी थीं. तीन साल पहले उन्होंने सर्जरी कराई. लेकिन उसके बाद इनका जीवन आसान नहीं था. उनके माता-पिता की मृत्यु के बाद, वो भीख मांगने पर मजबूर हो गईं. लेकिन 29 वर्षीय तृप्ति आज अपने पैरों पर खड़ी हैं. वो कोच्चि के Pappadavada रेस्त्रां में कैशियर का काम कर रही हैं.

Pappadavada रेस्त्रां के मालिक मीनू पॉलिन का कहना है कि हम सभी एक बराबर हैं और ट्रांसजेंडर होना कोई गलत बात तो है नहीं. हमें उन्हें स्वीकार करना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए. यही वजह थी कि मैंने तृप्त‍ि को काम पर रखा. वो कभी भी बहाने नहीं बनातीं और अपने काम को लेकर बहुत संजीदा हैं.

धीरे धीरे ही सही समाज इस समुदाय को स्वीकार कर रहा है. इसका और एक उदाहरण है कोच्चि मेट्रो रेल लिमिटेड जिन्होंने जून में हाउसकीपिंग और कस्टमर सर्विस जॉब के लिए ट्रांसजेंडरों के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं. 2017 में ये मेट्रो रेल सोवा शुरू हो जाएगी.

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