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पुलिस देती है पहरा, फिर भी मौत के डर से बाहर नहीं निकलते इस गांव के लोग

हत्याओं के बाद ग्रामीणों में खौफ इस कदर बैठ गया है कि उन्होंने घरों से बाहर निकलना बंद कर दिया है. गांव में पुलिस का पहरा है, फिर भी दहशत है. लोगों ने खुद को अपने ही घरों में नजरबंद कर लिया है.

पुलिस के पहरे के बावजूद घरों में नजरबंद हैं लोग पुलिस के पहरे के बावजूद घरों में नजरबंद हैं लोग
केशव कुमार/सतेंदर चौहान
  • चंडीगढ़/सोनीपत,
  • 16 मई 2016,
  • अपडेटेड 7:07 PM IST

सोनीपत जिले के करेवड़ा गांव में एक बदमाश ग्रामीणों के लिए आतंक का पर्याय बन चुका है. पिछले 15 दिनों में उसने गांव के तीन लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी. उसके हमले में बुरी तरह घायल दो लोग मौत से जंग लड़ रहे हैं. इन हत्याओं के बाद ग्रामीणों में खौफ इस कदर बैठ गया है कि उन्होंने घरों से बाहर निकलना बंद कर दिया है. गांव में पुलिस का पहरा है, फिर भी दहशत है.

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आखिर इस डर की वजह क्या है?
दरअसल, करेवड़ा गांव में संजय नाम के शख्स ने सरपंच पद के लिए चुनाव लड़ा था. संजय का भाई अजय उर्फ कन्नू आपराधिक प्रवृत्ति का है. कन्नू ग्रामीणों को डराकर चुनाव जीतना चाहता था, लेकिन किसी ने उसके भाई के पक्ष में वोट नहीं डाले. सरपंच का चुनाव हारने के बाद एक सड़क हादसे में बदमाश कन्नू के भाई और बाप की मौत हो गई. इसके बाद बदमाश कन्नू ने ग्रामीणों की हत्या करनी शुरू कर दी.

मौजूदा सरपंच की गोली मारकर हत्या
सबसे पहले कन्नू ने सरपंच चुनाव जितने वाले शख्स को गोली मारकर घायल कर दिया. उसके बाद नौ मई को जाहरी गांव में वीरेंदर और सुनील नाम के दोस्तों को गोलियों से भून दिया . जिसमें वीरेंद्र की मौत हो गई और सुनील अभी भी मौत से जंग लड़ रहा है. उसके बाद कन्नू ने 12 मई को जगबीर और उसके बेटे अनिल की गोली मारकर हत्या कर दी. मृतक जगबीर का एक बेटा सुशील छिक्कारा आर्मी में मेजर है. उसने पिता और भाई की हत्यारे की जल्द गिरफ्तारी की मांग की है.

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क्या कर रही है पुलिस?
जिले की पुलिस भी इस बदमाश के सामने बेबस नजर आ रही है. सोनीपत में डीआईजी कम एसपी हरदीप दून के लिए भी यह मामला सिरदर्द बना हुआ है. उन्होंने बताया कि आरोपी की तलाश के लिए पांच लाख का इनाम घोषित किया गया है. पुलिस की 10 टीमें भी उसकी खोज में लगी हुई हैं. साथ ही गांव में मुनादी करवा दी गई है कि बिना सुरक्षा के कोई भी ग्रामीण गांव से बाहर न जाए. पुलिस की कड़ी सुरक्षा के बाद भी करेवड़ा गांव में दहशत है.

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