
आम आदमी पार्टी और केंद्र सरकार के बीच अब जंग का नया मोर्चा खुल सकता है. इस बार दोनों के बीच विदेशी चंदे पर ठनने के आसार हैं.
गृह मंत्रालय का कड़ा रुख
आजतक के सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय गृह मंत्रालय विदेशी चंदा लेने वाली पार्टियों पर नकेल कसने की तैयारी में है. सियासी जानकारों की राय में मंत्रालय के निशाने पर आम आदमी पार्टी ही रहने जा रही है. सूत्रों की मानें तो अगर आम आदमी पार्टी विदेशी कंपनियों से मिले चंदे की सफाई नहीं दे पाती है तो उसे पूरी रकम लौटानी पड़ सकती है. मंत्रालय ने ऐसे किसी भी चंदे की जानकारी बाकी पार्टियों से भी मांगी है.
आम आदमी पार्टी को भेजा था नोटिस
गृह मंत्रालय ने इस मामले में 3 मई को आम आदमी पार्टी को विदेशी सहायता नियमन कानून (एफसीआरए) के तहत नोटिस भेजा था. नोटिस में पार्टी को विदेशों से मिले चंदे का ब्योरा देने के लिए कहा गया है. पार्टी को नोटिस के जवाब के लिए 16 मई तक का वक्त दिया गया है.
'आप' पर लगते रहे हैं आरोप
आम आदमी पार्टी पर गैर-कानूनी तरीके से विदेशी चंदा लेने के आरोप नए नहीं हैं. पार्टी से ही अलग हुए एक धड़ा दावा करता रहा है कि आम आदमी पार्टी ने संदिग्ध विदेशी कंपनियों से चंदा लिया था. पंजाब चुनाव के दौरान भी कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी पर विदेशों में सक्रिय खालिस्तानी संगठनों से दान लेने का आरोप लगाया था. हाल ही में कपिल मिश्रा भी ऐसे ही संकेत दे चुके हैं.
मान्यता रद्द करने की मांग
दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने तो इसी आरोप को लेकर आम आदमी पार्टी की मान्यता तक रद्द करने की मांग की है. उनका आरोप है कि 'आप' हवाला के जरिये काले धन को सफेद करती है. तिवारी के मुताबिक आम आदमी पार्टी ने चुनाव आयोग, आयकर विभाग और अपनी वेबसाइट पर चंदे की अलग-अलग जानकारी दी. मनोज तिवारी ने आम आदमी पार्टी के 2014-15 के चंदे का जिक्र किया. उन्होंने दावा किया, '2014-15 में 65 करोड़ के चंदे की जानकारी आयकर विभाग को दी. जबकि चुनाव आयोग को चंदे की रकम 6 करोड़ बताई. वहीं पार्टी ने अपनी वेबसाइट पर 27 करोड़ 39 लाख रुपये का चंदा दिखाया.
आम आदमी पार्टी की सफाई
दूसरी तरफ, आम आदमी पार्टी का कहना है कि गृह मंत्रालय दो बार कोर्ट में हलफनामा पेश कर कह चुका है कि आप की फंडिंग में कोई घालमेल नहीं है. लिहाजा ताजा नोटिस महज पार्टी को परेशान करने की साजिश है. पार्टी के मुताबिक पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में मिले चंदे का पूरा ब्योरा चुनाव आयोग को दिया गया है. पार्टी के नेताओं की मानें तो एफसीआरए के तहत दान देने वालों के नाम और पैन नंबर की जानकारी ली जाती है.