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साल 1990 में आई 'आशिकी' फिल्म में अनु का किरदार निभाने वाली दिल्ली की अनु अग्रवाल ने अपनी मौत के मुंह से वापस आने की दास्तां और अपनी अंतरंग जिंदगी से जुड़े कई अहम राजों को आत्मकथा के माध्यम से उजागर किया है.
'अनयूजवल: मेमोइर ऑफ ए गर्ल हू केम बैक फ्रॉम डेड' के बारे में अनु का कहना है कि यह कहानी उस लड़की है जिसकी जिंदगी कई टुकड़ों में बंट गई थी और बाद में उसने खुद से उन टुकड़ों को इकट्ठा कर जिंदगी को फिर से गूंथा. यह बिल्कुल वैसा ही है जैसा बच्चों के एक पहेली वाले खेल में बिखरे हुए टुकड़ों को फिर से जोड़ना होता है.
अनु दिल्ली से मुंबई गईं, वहां एक अंतरराष्ट्रीय मॉडल बनीं और फिर फिल्मों में काम किया. उसके बाद वह उत्तराखंड के एक योगाश्रम में चली गईं और फिर वापस मुंबई आईं. इस दौरान एक कार दुर्घटना के बाद वह 29 दिनों के लिए कोमा में चली गईं. इस तरह फिल्मों में काम करने, संन्यास लेने और फिर एक योग गुरू के रूप में वापस आने की उनकी इस दास्तां को हार्पर कॉलिन्स ने प्रकाशित किया है.
अनु खुद को सौभाग्यशाली मानती हैं क्योंकि अपनी सेक्स, वासना और विपरीत लिंग के इंसानों के साथ एक सच्चे संबंध की तलाश में उन्होंने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी और हर संभव प्रयास किए. अपनी जिंदगी में आए मर्दों के बारे में अनु ने कहा कि हर बार एक नई जगह पर एक नया साथी और नया प्रेम प्रसंग. बस प्यार करने वाले बदल गए और नया कुछ नहीं हुआ.
अनु ने अपने इस जिंदगीनामा में आंग्ल-भारतीय जैज संगीतज्ञ रिक से लेकर एक तांत्रिक के साथ बनाए संबंधों के बारे में बात की है. साथ में अपने संन्यास के बारे में उनका मानना है कि वह
उनकी जिंदगी में अभूतपूर्व बदलाव लेकर आया.
इनपुट: भाषा