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चुनाव आयोग के नोट से घिरी केजरीवाल सरकार, मंत्री के दफ्तर में संसदीय सचिव का कानून नहीं

दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की रिपोर्ट से आप के 21 विधायक मुश्किल में घिर गए हैं. CEO ने चुनाव आयोग से कहा कि दिल्ली के कानून में मंत्रियों के लिए संसदीय सचिवों का प्रावधान नहीं है.

अब खुद को पीड़ित दिखाना चाहते हैं केजरीवाल अब खुद को पीड़ित दिखाना चाहते हैं केजरीवाल
कपिल शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 15 जून 2016,
  • अपडेटेड 9:00 AM IST

चुनाव आयोग के एक नोट से आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों की मुश्किल बढ़ सकती है. आरटीआई के जवाब में चुनाव आयोग ने आरटीआई एक्टीविस्ट विवेक गर्ग को एक नोट भेजा है. इस नोट में लिखा है कि चुनाव आयोग ने संसदीय सचिवों से जुड़े कानून के बारे में दिल्ली के मुख्य चुनाव आयुक्त से जानकारी मांगी थी.

कानूनन सही नहीं है केजरीवाल सरकार का कदम
इस जानकारी के मुताबिक दिल्ली के सीईओ ने चुनाव आयोग को बताया कि देहली मेंबर्स ऑफ असेंबली ( रिमूवल ऑफ डिसक्वालिफिकेशन) एक्ट 1997 के मुताबिक दिल्ली में सिर्फ मुख्यमंत्री के दफ्तर में संसदीय सचिव नियुक्त किये जाने का प्रावधान है. साथ ही ये भी लिखा है कि कानून के मुताबिक दिल्ली में मंत्री के दफ्तर में संसदीय सचिव नियुक्त किए जाने का कोई जिक्र नहीं है.

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खुद को पीड़ित दिखाना चाहते हैं केजरीवाल
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल कब सिस्टम से लड़ते-लड़ते कानून से लड़ गए और उलझ गए ये उन्हें खुद पता नहीं चला. क्योंकि अब केजरीवाल और उनके सलाहकारों को भी पता है कि ऑफिस ऑफ प्रॉफिट में उनके विधायक बुरी तरह उलझ चुके हैं. इसीलिए अब केजरीवाल की कोशिश पुरानी सरकारों की मिसाल देकर अपने आप को पीड़ित साबित करने की है.

सोमदत्त और अलका लांबा ने ईसी को सौंपा हलफनामा
दूसरी ओर, सोमदत्त और अलका लांबा ने खुद के बचाव में चुनाव आयोग में हलफनामा दाखिल किया है. वहीं बीजेपी नेता आरपी सिंह और विधायक ओपी शर्मा ने कहा कि केजरीवाल और उनके विधायक झूठ के पुलिंदे हैं. अब वे सब डिस्क्वालिफिकेशन से बचने की सारी जुगत कर रहे हैं.

प्रीमियम बस सर्विस पर भी घिरी केजरीवाल सरकार
वहीं सरकार प्रीमियम बस सर्विस में घोटाले के आरोप से भी बुरी तरह घिर गई है. बताया जा रहा है कि इसका आयडिया दिल्ली डायलॉग कमिशन के मुखिया अशीष खेतान का था, लेकिन जब इस योजना में गड़बड़ियों के आरोपों पर उनसे बात करनी चाही तो पता चला कि वह छुट्टी पर हैं. अब इस सेवा में गड़बड़ी की शिकायत के बाद केजरीवाल सरकार के एक मंत्री की अपने विभाग से छुट्टी हो गई. तो सवाल उठ रहा है कि क्या ये महज इत्तेफाक है?

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प्रीमियम बस सेवा के लिए बनी थी दो फाइलें
दिल्ली विधानसभा में बीजेपी के नेता विजेंद्र गुप्ता ने बताया कि प्रीमियम बस सेवा योजना की दो फाइल बनीं. एक डीडीसी के चेयरमैन आशीष खेतान ने बनाई और फिर बाद में परिवहन मंत्री गोपाल राय ने दूसरी फाइल बनाई. इस योजना का मकसद ही गड़बड़ है और एक बस कंपनी शटल को फायदा पहुंचाने के लिए इसे सामने लाया गया. एसीबी से शिकायत के बाद राय से विभाग ले लिया गया. जांच में पता चल जाएगा कि किसका दबाव था.

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