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FIR दर्ज होने से खुश हैं रचना, बोली- इससे 'आधार' का ही होगा भला

UIDAI की ओर से आधार के एक मामले पर एफआईआर का सामना करने वाली पत्रकार पूरे प्रकरण से काफी खुश हैं और उन्हें इससे काफी उम्मीदें हैं. वहीं प्रेस क्लब आज चंडीगढ़ में विरोध-प्रदर्शन करेगा.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 9:26 AM IST

आधार के डाटा में सेंध लगाने संबंधी खबर छापने और रिपोर्टर रचना खेड़ा पर यूआईडीएआई (UIDAI) की ओर से एफआईआर दर्ज कराए जाने पर हर तरफ इस कदम की आलोचना हो रही है. एफआईआर के खिलाफ आज सुबह चंडीगढ़ के प्रेस क्लब में पत्रकार विरोध-प्रदर्शन करेंगे. दूसरी ओर, पत्रकार रचना खेड़ा पूरे विवाद से बेहद खुश हैं.

चंडीगढ़ प्रेस क्लब के प्रधान जसवंत राणा ने आजतक को बताया कि चंडीगढ़ के पत्रकार सोमवार को सरकार के इस फैसले के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे और फिर एक मानवीय चेन बनाकर राज्यपाल के कार्यालय तक मार्च करेंगे और उसके बाद उनको एक ज्ञापन सौंपेंगे. प्रेस क्लब ने UIDAI की ओर से दायर की गई FIR को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला और मनमर्जी करार दिया.

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वहीं, मामला सामने आने के बाद 'दि ट्रिब्यून' की पत्रकार रचना खेड़ा का कहना है कि इस पूरे प्रकरण पर उन्हें खुशी है. दिल्ली पुलिस की ओर से दर्ज एफआईआर का सामना करने वाली रचना ने कहा, "मैं मानती हूं कि एफआईआर दर्ज होने से मुझे कुछ 'हासिल' हुआ है. मुझे इस बात की खुशी है कि UIDAI ने मेरी रिपोर्ट पर एक्शन लिया, मुझे इस एफआईआर के बाद से कुछ उम्मीद जगी है." उन्होंने कहा, "भारत सरकार अब इस संबंध में हर तरह से सेंध लगाने के मामलों की जांच करेगी और कड़े एक्शन लेगी."

यह पूछे जाने पर कि क्या वह अब भी अपनी रिपोर्ट पर कायम है तो उन्होंने कहा, "हां, पूरी तरह से. मैं अपने एक-एक शब्द के साथ हूं." हालांकि उनका कहना था कि अभी उन्हें एफआईआर की कोई कॉपी नहीं मिली है.

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एफआईआर के खिलाफ हो रही आलोचना को देखते हुए यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) को अपनी सफाई देनी पड़ी. UIDAI का कहना है कि इस मामले में ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि व्हिसलब्लोअर के खिलाफ कदम उठाया गया है. UIDAI ने कहा है कि यह कहना सही नहीं है कि हमने 'शूटिंग द मैसेंजर' की नीति को अपनाया है. उसका कहना है कि भले ही इस मामले में आधार से संबंधित जानकारियों में सेंध न लगाई गई हो, पर UIDAI हर आपराधिक मामले को काफी गंभीरता से लेता है. इस मामले में अनाधिकारिक सेंध लगाने की कोशिश के तहत आपराधिक प्रक्रिया शुरू की गई है.

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एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने इस मामले में अखबार और रिपोर्टर पर एफआईआर किए जाने की आलोचना की थी.

पत्रकार रचना खेड़ा की ओर 'द ट्रिब्यून' ने दावा किया था कि उसने एक व्हाट्सएप ग्रुप से मात्र 500 रुपए में आधार का डाटा हासिल करने वाली सर्विस खरीदी और उनको करीब 100 करोड़ आधार कार्ड का एक्सेस मिल गया. अखबार ने कहा कि इस दौरान उनको लोगों के नाम, पता, पिन कोड, फोटो, फोन नंबर और ईमेल आईडी की जानकारी मिली थी.

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खबर प्रकाशित होने के बाद पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए UIDAI ने पूछा कि क्या उसके पत्रकार ने किसी के फिंगर प्रिंट या आंखों की पुतलियों का रिकॉर्ड देखा था या हासिल किया था? पत्रकार ने कितने आधार नंबरों की जानकारी ली थी और ये आधार नंबर किन-किन के थे? साथ ही उसने दावा किया कि बायोमैट्रिक डाटा हासिल करने की खबर झूठी थी.

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