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क्या रणबीर कपूर के लिए टर्निंग पॉइंट साबित होगी उनकी अगली फिल्म 'ऐ दिल है मुश्किल'

इस साल दीवाली पर रिलीज होने जा रही रणबीर कपूर की फिल्म 'ऐ दिल है मुश्किल' क्या उनके करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हो पाएगी?

ऐश्वर्या राय और रणबीर कपूर ऐश्वर्या राय और रणबीर कपूर
नरेंद्र सैनी
  • नई दिल्ली,
  • 28 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 8:46 AM IST

रणबीर कपूर ने जब बॉलीवुड में दस्तक दी तो ऋषि कपूर के साहेबजादे का जबरदस्त इस्तकबाल हुआ. उनकी फैन लिस्ट में तेजी से इजाफा हुआ. 'सांवरिया' (2007) में उनका टॉवल कई लड़कियों की दिल की धड़कन बन गया. फिर उन्होंने 'वेक अप सिड' (2009) और 'अजब प्रेम की गजब कहानी' (2009) से युवा दिलों के तारों को छेड़ा. 'राजनीति' (2010), 'रॉकस्टार' (2011) और 'बर्फी' (2012) से उन्होंने वह वेरायटी दी जो किसी भी एक्टर के लिए जरूरी है. फिर 'ये जवानी है दीवानी' (2013) ने उन्हें सुपरस्टार बनने की राह पर धकेल दिया. लेकिन कामयाबी को संभालकर रखना हर किसी के बस की बात नहीं है. उनके साथ भी ऐसा ही हुआ.

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फिर कहते हैं न कि किसी का दिल तोड़ना अच्छी बात नहीं होती, और रणबीर के लिए भी ऐसा ही हुआ. उन्होंने कटरीना कैफ से दोस्ती के लिए दीपिका पादुकोण के साथ अपने कुछ-कुछ की बलि दे डाली. शायद यही उनके करियर का टर्निंग पॉइंट भी माना जा सकता है. 2013 में फिल्म आई 'बेशर्म' और उसके साथ ही उनके करियर के ग्राफ ने धरती छूना शुरू कर दिया. फिर 'रॉय' (2015), 'बॉम्बे वेलवेट' (2015) और 'तमाशा' (2015) सब का ही बॉक्स ऑफिस पर तेल निकल गया और इस बीच उनकी दोस्त कटरीना भी उनके हाथ से निकल गई. उनकी हालत कुछ इस तरह हुई: 'न खुदा ही मिला न विसाले सनम, न इधर के रहे न उधर के रहे.' फिर तेजी से दौड़ रहा उनका करियर कछुआ चाल पर आ गया है, और एक अदद हिट के लिए वह तरसने लगे.

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वेरायटी को बनाए रखना होगा
अब उनकी फिल्म 'ऐ दिल है मुश्किल' रिलीज हो रही है. बेशक फिल्म के गानों ने युवाओं में रफ्तार पकड़ी हुई है और ऐश्वर्या राय बच्चन, अनुष्का शर्मा, फवाद खान और रणबीर की चौकड़ी दिलचस्पी तो जगा रही है, लेकिन रणबीर को लेकर डर यह सता रहा है कि वह कहीं दोहराव के शिकार तो नहीं हो रहे हैं. क्योंकि जिस तरह का गेटअप और अंदाज वह लेकर आए हैं, उस तरह का कुछ-कुछ हम 'रॉकस्टार' और 'तमाशा' में भी देख चुके हैं. वह चोट खाए आशिक के तौर पर नजर आ चुके हैं. गायक भी बन चुके हैं. अगर फिर से उसी पुराने अंदाज में नजर आते हैं तो इस बात की संभावनाएं कम ही हैं कि दर्शक उन्हें गले से नीचे उतार पाएं. वैसे भी उनका मुकाबला दीवाली पर अजय देवगन की एक्शन पैक 'शिवाय' से है. इसलिए कुछ नया होना बेहद जरूरी है.

रोमांस से ज्यादा करियर पर फोकस जरूरी
रणबीर कपूर पिछले कुछ दिनों में अपने काम की जगह अपने प्रेम प्रसंगों की वजह से सुर्खियों में रहे हैं. कभी दीपिका पादुकोण के साथ तो कभी कटरीना कैफ के साथ. अब गॉसिप का बाजार गर्म है कि उनका अफेयर श्रुति हासन के साथ चल रहा है. अगर इस बात में सच्चाई है तो कोई गलत बात नहीं है. सितारों के अफेयर्स होते ही हैं, और सुर्खियां बनती ही हैं. लेकिन अगर इश्क के साथ काम भी हो तो अच्छा है. सिर्फ रोमांस के दम पर जिंदगी नहीं चला करती. कुछ सुर्खियां रोल और काम की भी बननी चाहिए. जिस बारे में वह इन दिनों बिल्कुल पिछड़े हुए हैं.

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रणवीर सिंह से है टक्कर
रणवीर सिंह ने रणबीर कपूर के तीन साल बाद करियर की शुरुआत की. लेकिन किरदारों में वेरायटी की वजह से वह उनसे काफी आगे निकल गए हैं. वैसे दीपिका से दोस्ती के बाद से तो वे निखर ही गए हैं. गालिब का यह शेर रणबीर कपूर पर एकदम सटीक बैठता है 'इश्क ने ‘गालिब’ निकम्मा कर दिया, वर्ना हम भी आदमी थे काम के.' लेकिन रणवीर इस मामले में सयाने बैठे. उन्होंने इश्क को पारस पत्थर बना दिया और खुद को निखार लिया. इसकी मिसाल फिल्मों को लेकर उनकी चॉयस है. जिसे 'बाजीराव मस्तानी' के जरिए समझा जा सकता है. अब उनकी 'पद्मावती' भी आ रही है. रणबीर को रणवीर से कुछ सीखना चाहिए.

पिता की राह पर चलने की कोशिश
अगर रणबीर कपूर चाहें तो अपने पिता के करियर से भी सबक ले सकते हैं. जिन्होंने 'खेल खेल में (1975)' से लेकर 'कभी कभी (1978)' जैसी फिल्में की हैं. 'अमर अकबर एंथनी' और 'कर्ज' और 'सागर' जैसी यादगार फिल्में भी उनके नाम हैं. उन्होंने मल्टीस्टारर भी की और अमिताभ बच्चन के साथ उनकी जोड़ी काफी हिट भी रही. रणबीर कपूर को भी फिल्मों की चॉयस को लेकर उनके अनुभव का फायदा उठाना चाहिए क्योंकि आज भी ऋषि कपूर 'दो दूना चार' जैसी फिल्म कर रहे हैं. इस तरह हर समय में खुद को प्रासंगिक बनाए रखने की कला रणबीर को अपने पिता से सीखनी चाहिए.

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