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मिजोरम में शांति की चादर बिछने के करीब 30 सालों के बाद इस बात के संकेत उभर रहे हैं कि म्यांमार और बांग्लादेश की सीमाओं के साथ सटे पूर्वोत्तर के इस राज्य में आतंकवाद फिर फन फैला रहा है.
दशकों तक विद्रोह के बाद शांति कायम होने के कारण मिजोरम देश का पहला और एकमात्र ऐसा राज्य बना जिसे 2000-2001 में 'शांति बोनस' के तौर पर 182.45 करोड़ रुपये मिले थे. यह रिकॉर्ड 28 मार्च को उस समय धुल गया, जब मणिपुर आधारित हमार पीपुल्स कन्वेशन डेमोक्रेटिक (एचपीसी-डी) ने एक पुलिस दल पर मिजोरम में घात लगाकर हमला किया. घटना में तीन पुलिसकर्मी मारे गए और छह घायल हो गए. मारे गए पुलिसकर्मियों में उपनिरीक्षक जोरमथारा खाल्हरिंग भी शामिल थे. मणिपुर-असम बॉर्डर पर यह घटना उस समय घटी जब एक पुलिस दल आईजोल जिले में विधानसभा में उप मुख्य सचेतक आरएल पैनमाविआ की सुरक्षा में उनके साथ जा रहा था.
इस आतंकवादी हमले के कारण मिजोरम ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से एचपीसी-डी पर प्रतिबंध लगाने की मांग की. राज्य ने यह भी मांग की कि हमार जनजाति बहुल वाले राज्य के पूर्वोत्तर हिस्से को विवादास्पद सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम-1958 के तहत गड़बड़ी वाला इलाका घोषित किया जाए.
मिजोरम के मुख्यमंत्री लल थनहावला ने कहा कि हाल के हमले के लिए जिम्मेदार आतंकवादियों ने कई मौकों पर कानून का उल्लंघन किया है. उन्होंने कहा, 'आतंकवादियों ने हमारे पुलिसकर्मियों की हत्या कर हमें चुनौती दी है. हम इस चुनौती को स्वीकार करेंगे.'
सुरक्षा विश्लेषक मानस पाल का भी मानना है, 'हाल के हमले ने इलाके में मौजूज उन सुरक्षा खामियों को उजागर किया है जिसे कुछ सालों से नजरअंदाज किया गया.' भारत के पूर्वोत्तर में उग्रवाद और सुरक्षा मामलों पर किताब लिख चुके पाल ने कहा कि मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के दो दशक तक बरपाए गए आतंकवाद से मुक्ति पाने के बाद राज्य में 1986 से शांति कायम रही है. माना जा रहा है कि घटना में शामिल आतंकवादियों का संबंध पूर्वोत्तर के अन्य चरमपंथी संगठनों से है.
मिजोरम के अतिरिक्त गृह सचिव लालबियाकजामा ने कहा, 'गृह मंत्री आर लालजिरलियाना की अध्यक्षता में इस हफ्ते हुई एक बैठक में राज्य के हालात की समीक्षा की गई थी.'
एक अधिकारी ने कहा कि मिजोरम-असम सीमा पर स्थित वैरंगते के काउंटर इनसर्जेंसी एंड जंगल वारफेयर स्कूल में मिजोरम के सशस्त्र पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षित करने का एक प्रस्ताव है.