
मध्य प्रदेश विधानसभा में बुधवार को कांग्रेस विधायक के आत्महत्या से जुड़े सवाल का गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने चौंकाने वाला जवाब दिया था. गृहमंत्री ने सदन में बताया था कि सीहोर जिले में पिछले तीन सालों में लगभग 418 लोगों ने आत्महत्या की, लेकिन इनमें से दो लोगों के नाम के आगे आत्महत्या की वजह भूत-प्रेत और ऊपरी बाधा बताया गया था जिसके बाद कांग्रेस ने पूरे मुद्दे पर जमकर हंगामा किया. सरकार के बयान के मुताबिक अहमदपुर में गिरिजेश और बरखेड़ा हसन की रहने वाली कविता ने भूत प्रेत और उपरी बाधा के कारण आत्महत्या की थी.
घरवालों के मुताबिक भूतों ने करवाई आत्महत्या
दरअसल आत्महत्या करने वालों के परिवार वालों से भी जब खुदकुशी मामले में बात की गई तो उन्होंने भी इसके लिए भूतों को जिम्मेदार बताया. बयान की सच्चाई जानने के लिए 'आज तक' की टीम ने अहमदपुर और बरखेड़ा हसन गांवों का दौरा किया और मृतकों के परिवार वालों से बात की. भोपाल से लगभग 50 किलोमीटर दूर अहमदपुर गांव के रहने वाले 19 साल के गिरिजेश ने 24 नवंबर 2014 को फंदे से लटककर आत्महत्या कर ली थी. गिरिजेश के पिता का कहना है कि आत्महत्या वाले दिन उसका जन्मदिन था और वो बेहद खुश था. गिरिजेश की मानें तो भूतों की वजह से उनके बेटे ने खुदकुशी की, यानी एमपी सरकार और परिवार की दलील एक समान है.
इलाज नहीं झाड़फूंक पर परिवार को भरोसा
गिरेजेश के पिता लाखनसिंह ने बताया कि वो भूत प्रेतों को नहीं मानते थे. लेकिन गिरिजेश की आत्महत्या के बाद से वो इसे मानने लगे हैं. उनके मुताबिक पहले भी घरवाले घर में अजीब आवाजों का जिक्र करते थे लेकिन उन्होंने कभी ध्यान नहीं दिया. बेटे की मौत के बाद से ही लगातार घर में अजीब घटनाएं होने लगीं और इसके बाद से लाखनसिंह इतने डर गए कि कुछ दिन पहले ही घर में भागवत की कथा भी करवाई. वहीं 2 साल पहले गांव बरखेड़ा हसन की रहने वाली कविता नाम की महिला ने आग लगाकर आत्महत्या कर ली थी और विधानसभा में उसकी आत्महत्या के पीछे भी भूत-प्रेत को वजह बताया गया था. कविता के पति रामबाबू ने भी आत्महत्या के पीछे कविता की मानसिक हालत का ठीक ना होना और भूत-प्रेत को वजह बताया है. रामबाबू के मुताबिक वो हमेशा घर में अजीब हरकतें करती थी.
अंधविश्वास की जकड़न
इस मामले में गौर करने वाली बात ये है कि कविता की दिमागी हालत ठीक नहीं होने पर उसके पति ने कभी भी उसे डॉक्टर को नहीं दिखाया ताकि उसका इलाज हो सके. उलटे वो अपनी पत्नी को हमेशा किसी तांत्रिक के पास ही ले जाता था और झाड़फूंक से उसके ठीक होने की उम्मीद करता था. अब ये बात वाकई चौंकाती है कि जिस युग में देश डिजिटल इंडिया और चांद पर जाने की बात करता है उसी युग में मध्य प्रदेश की राजधानी से चंद किलोमीटर दूर अंधविश्वास ने लोगों को आजादी के इतने सालों बाद भी जकड़ा हुआ है.