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स्वराज अभियान का दावा, दबाव में केजरीवाल ने लिया शराब के ठेके नहीं खोलने के फैसले

केजरीवाल ने कहा कि मोहल्ला सभा की रजामंदी के बिना शराब के ठेके नहीं खुलेंगे और यदि मौजूदा ठेकों का विरोध होता है तो उन्हें शिफ्ट करने पर सरकार विचार करेगी.

स्वराज अभियान ने केजरीवाल पर उठाए सवाल स्वराज अभियान ने केजरीवाल पर उठाए सवाल
मणिदीप शर्मा/पंकज जैन
  • नई दिल्ली,
  • 17 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 10:57 PM IST

स्वराज अभियान ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस बयान का स्वागत किया है कि दिल्ली में अगले एक साल तक नए शराब के ठेके नहीं खोले जाएंगे. स्वराज अभियान ने राजधानी दिल्ली में खुल रहे शराब के ठेकों के मुद्दे पर मुख्यमंत्री केजरीवाल को घेरा था. ऐसे में बुधवार को केजरीवाल ने कहा कि मोहल्ला सभा की रजामंदी के बिना शराब के ठेके नहीं खुलेंगे और यदि मौजूदा ठेकों का विरोध होता है तो उन्हें शिफ्ट करने पर सरकार विचार करेगी.

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केजरीवाल के इस बयान को स्वराज अभियान अपनी जीत मान रहा है. हालांकि योगेंद्र यादव ने फेसबुक के जरिये तीखे सवाल भी उठाए हैं.

योगेंद्र यादव ने आम आदमी पार्टी सरकार पर आरोप लगाते हुए फेसबुक पर लिखा है कि चुनाव में शराब रोकने और मोहल्ला सभा की बात की, लेकिन सत्ता में आकर शराब की कमाई दिखने लगी और वादे से उल्टा काम किया, सोचा किसी को पता नहीं लगेगा. अब पकड़े गए, और पंजाब में वोट जाने का डर लगा तो यू-टर्न मारकर महात्मा बन गए.

स्वराज अभियान ने मुख्यमंत्री की घोषणा पर उठाए ये सवाल:

1. मुख्यमंत्री जी सिर्फ अगले एक साल शराब के नए ठेके नहीं खोलना चाहते? क्या इसकी वजह दिल्ली और पंजाब में आने वाले चुनाव हैं?

2. अगले साल तो नए ठेके नहीं खुलेंगे लेकिन जो पिछले साल में खोले उनका क्या होगा?

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3. अभी तक सरकार ये सूचना भी क्यों नहीं दे रही कि सत्ता में आने के बाद से इस सरकार ने कितने नए ठेके खुलवाए, कितने नए लाइसेंस दिए? पिछले साल भर में दिल्ली में शराब की खपत बढ़ी या कम हुई?

4. ये घोषणा सत्ता में आते ही क्यों नहीं की? पहले साल भर दारू के नए ठेके क्यों खोले थे? सोचा कि किसी को पता नहीं लगेगा?

5. केजरीवाल जी ने ऐसे ही वादे दिल्ली के वोटरों से किए थे जिसका कोई अनुपालन नहीं हुआ और हमने देखा कि जब से पार्टी दिल्ली की सत्ता में आई है कम से कम 72 नए शराब के ठेके और 217 बार के लाइसेंस बांटे गए. सवाल उठता है कि दिल्ली सरकार जो नशामुक्त दिल्ली का वादा कर सत्ता में आई क्यों इतने उत्साह के साथ राष्ट्रीय राजधानी में नशा को बढ़ावा दे रही है?

6. दिल्ली सरकार ने इस बार की एक्साइज पॉलिसी में देरी की है जिसे अप्रैल में ही जारी कर देना चाहिए था. पिछले 4 महीने से सरकार ड्राफ्ट पॉलिसी पर आपस में ही विमर्श कर रही है. पिछले 15 दिनों में ऐसा क्या हो गया कि मुख्यमंत्री जी को प्रारंभिक ड्राफ्ट पॉलिसी से यूटर्न लेते हुए अचानक यह घोषणा करनी पड़ी?दो हफ्ते पहले तक सरकार के ड्राफ्ट में नए ठेके न खोलने या मोहल्ला सभा की बात क्यों नहीं थी?

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पॉलिसी जारी करने में पहले ही देरी की जा चुकी है, ऐसे में स्वराज अभियान यह मांग करता है कि नए ड्राफ्ट पॉलिसी को अंतिम रूप देने से पहले आम आदमी के बीच विमर्श और सुझाव के लिए सार्वजानिक किया जाए. मालूम हो कि स्वराज अभियान ने दिल्ली को ऐसे ठेकों से मुक्त करने का अभियान छेड़ रखा है जो वहां के लोगों की सहमति के बिना खुल रहे हैं.

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