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नेहरू ने संसद में कहा था धारा 370 घिसते-घिसते घिस जाएगी...हमने घिस डालीः अमित शाह

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 को जब बनाया गया था उस समय संविधान सभा में ज्यादतर नेता कांग्रेस के थे. नेहरू जी ने संसद में कहा है कि 370 घिसते-घिसते घिस जाएगी तो हमने घिस डाली. 

 केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह  (Image credit: Shekhar Ghosh/India Today) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Image credit: Shekhar Ghosh/India Today)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 18 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 8:13 AM IST

  • एनआरसी राजीव गांधी लेकर आए तब वो सेक्युलर था
  • अब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी विरोध कर रही हैं

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 को जब बनाया गया था उस समय संविधान सभा में ज्यादतर नेता कांग्रेस के थे. नेहरू जी ने संसद में कहा था कि 370 घिसते-घिसते घिस जाएगी तो हमने घिस डाली. इसमें हमने नया क्या किया...भाई आपने ही कहा था कि ये अस्थायी है. हमने हटा दिया.

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अमित शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 को जब बनाया गया था उस समय संविधान सभा में ज्यादतर नेता कांग्रेस के थे, इसमें कोई विवाद खड़ा नहीं कर सकता है. उसको (अनुच्छेद 370) अस्थायी लिखा गया. क्यों अस्थायी लिखा...स्थायी कर देते तो हटाने का सवाल ही नहीं आता. उसे हटाने का रास्ता 370 में डाला गया, क्यों डाला गया. आपने (कांग्रेस) ही डाला है. नेहरू जी ने संसद में कहा था कि 370 घिसते-घिसते घिस जाएगी तो हमने घिस डाली. इसमें हमने नया क्या किया...भाई आपने ही कहा था कि ये अस्थायी है.

एनआरसी राजीव गांधी लेकर आए थे

देशभर में नए नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के मुद्दे पर अमित शाह ने मंगलवार  को कहा कि एनआरसी राजीव गांधी लेकर आए तब वो सेक्युलर था, अब सोनिया गांधी विरोध कर रही हैं. अमित शाह ने कहा, 'मैं स्पष्ट कर दूं कि एनआरसी में धर्म के आधार पर कोई कार्रवाई नहीं होगी. जो कोई भी एनआरसी के तहत इस देश का नागरिक नहीं पाया जाएगा उन सबको निकाला जाएगा. इसलिए एनआरसी सिर्फ मुसलमानों के लिए है यह कहना गलत बात है.

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उन्होंने कहा, 'दूसरी बात एनआरसी लेकर कौन आया? जो लोग विरोध कर रहे हैं उनसे पूछना चाहता हूं कि इसे कौन लेकर आया. मैं कांग्रेस अध्यक्ष और गुलाम नबी आजाद से पूछना चाहता हूं कि 1985 में जब असम समझौता हुआ तब पहली बार एनआरसी की बात स्वीकार की गई. उसके बाद हमारे 1955 के नागरिकता एक्ट में 3 दिसंबर 2004 को क्लॉज 14 (ए) जोड़ा गया. इससे स्पष्ट है कि 3 दिसंबर 2004 को यूपीए की सरकार थी. हमारी सरकार नहीं थी. उसके बाद में रूल 4 जोड़ा गया, जो देशभर में एनआरसी बनाने की ताकत देता है, वो भी 9 नवंबर 2009 को जोड़ा गया. उस समय भी कांग्रेस की सरकार थी. उनके (कांग्रेस) बनाए कानून पर वो हम से ही सवाल कर रहे हैं. तो क्या आपने कानून शो केस में रखने के लिए बनाया था? जरूरी नहीं लगता था तो क्यों कानून बनाया?'

CAA और NRC को मिलाकर देखने पर सवाल पर उठता है कि सरकार की मंशा क्या है? इस पर सवाल पर अमित शाह ने कहा कि इस मसले को निर्वाचन क्षेत्र के साथ जोड़कर मत देखिए. इसे थोड़ा पीछे जाकर देखना होगा. सबसे पहली बात है कि देश का विभाजन धर्म के आधार पर नहीं होना चाहिए था. लेकिन यह कटु सत्य है कि इस देश का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ. बंटवारा कभी धर्म के आधार पर नहीं होना चाहिए, लेकिन कांग्रेस ने बंटवारा धर्म के नाम पर सरेंडर किया. इस देश का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ.

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अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस ने देश का विभाजन धर्म के आधार पर किया. ये नहीं होना चाहिए था. इसमें बहुत से लोगों का नुकसान हुआ. 1950 में नेहरू और लियाकत अली खान में समझौता हुआ कि दोनों देश अपने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करेंगे. तब से लेकर अब तक के आंकड़ों को देखिए, पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की संख्या कम हो गई. जब नेहरू-लियाकत समझौते पर अमल नहीं हुआ. तब ये करने की जरूरत पड़ी.

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