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यूपी में महागठबंधन को लेकर आज दिल्ली में मिल सकते हैं राहुल-अखिलेश

गठबंधन के बैकग्राउंड पर राहुल गांधी और अखिलेश यादव के बीच आपसी सहमति बन चुकी है. सूत्रों की मानें तो राहुल और अखिलेश मिलकर उत्तर प्रदेश में डिंपल यादव और प्रियंका गांधी के साथ मिलकर बीजेपी को रोकने की तैयारी की रणनीति बना चुके हैं.

राहुल गांधी और अखिलेश यादव राहुल गांधी और अखिलेश यादव
कुमार विक्रांत
  • नई दिल्ली,
  • 10 जनवरी 2017,
  • अपडेटेड 11:37 AM IST

यूपी में महागठबंधन के बैकग्राउंड पर राहुल गांधी और अखिलेश यादव के बीच आपसी सहमति बन चुकी है. सूत्रों की मानें तो राहुल और अखिलेश मिलकर उत्तर प्रदेश में डिंपल यादव और प्रियंका गांधी के साथ मिलकर बीजेपी को रोकने की तैयारी की रणनीति बना चुके हैं.

हालांकि मुलायम सिंह अभी भी अखिलेश को सीएम का चेहरा बताकर इस उम्मीद में हैं कि वह शिवपाल और अमर सिंह को यूपी की राजनीति से किनारे करने को तैयार हैं लेकिन अखिलेश उस रामगोपाल को किनारे करें जो बिहार विधानसभा चुनाव से पहले संयुक्त जनता परिवार के अध्यक्ष बनाए गए मुलायम सिंह यादव को यह कहते रहे कि इसका हिस्सा मत बनिए. यूपी में सीमित रहिए. सूत्रों के मुताबिक, मुलायम सिंह कहते हैं कि उस दौरान रामगोपाल यादव की बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के साथ मिलने की तस्वीरें और वीडियो भी सामने आए थे.

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सपा और कांग्रेस के बीच आने वाले दिनों में समझौता तकरीबन तय दिखाई दे रहा है. बात समाजवादी पार्टी के अखिलेश गुट की है, जिसके साथ लगातार कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर संपर्क में रहे हैं. वह बता चुके हैं कि समझौता तकनीकी तौर पर जीत और हार के लिहाज से होना चाहिए. राहुल गांधी और अखिलेश यादव प्रशांत किशोर की दोनों बातों से सहमत हैं. सूत्र बताते हैं कि सब कुछ सही दिशा में चल रहा है. 10 जनवरी यानी मंगलवार को अखिलेश यादव दिल्ली आ सकते हैं और राहुल गांधी से मुलाकात कर सकते हैं. जिसके बाद अगले दो-चार दिनों में समाजवादी पार्टी कांग्रेस के साथ अजित सिंह की आरएलडी, संजय निषाद की निषाद पार्टी, पीस पार्टी, आरजेडी, अपना दल का दूसरा गुट अनुप्रिया पटेल के खिलाफ है, पीस पार्टी जैसे छोटे दल मिलकर बिहार की तर्ज पर महागठबंधन बनाएंगे. इससे बिहार की तर्ज पर नीतीश कुमार की भूमिका में अखिलेश यादव नजर आएंगे. इसलिए सियासी दांव पेंच के राउंड रोबिन आधार पर मैच जारी है.

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सूत्रों की मानें तो अखिलेश यादव ने तय कर लिया है कि इस समाजवादी पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह या तो उनका होगा या फिर फ्री होगा. जिसके बाद ही मुलायम के अखिलेश समाजवादी पार्टी से प्रोग्रेसिव समाजवादी पार्टी के मुखिया बनकर साइकिल के विकास को आगे बढ़ाते हुए मोटरसाइकिल को प्राचीन बनाएंगे. हालांकि क्या संभव हो पाएगा इसके लिए इंतजार करना होगा.

मुलायम ने लखनऊ पहुंचकर साफ कर दिया कि अखिलेश अगले मुख्यमंत्री होंगे. सरकार बनेगी तो लेकिन मामला वही फंसा रहा है कि मुलायम के राजनीतिक पहलवान शिवपाल और अमर सिंह मुलायम के लिए सरेंडर करने को तैयार हैं. अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाने के सवाल पर सभी सहमत हैं. लेकिन जो सवाल है वही है कि मुलायम के शिवपाल और अमर क्या किनारे जाएंगे? क्या अखिलेश रामगोपाल को साइड कर पाएंगे? मुलायम ने कोशिश की है कि बेटे तू मेरा अगला मुख्यमंत्री है. मेरी बात मान ले लेकिन अखिलेश परेशान हैं कि आज मान ली पर कल को शिवपाल और अमर के कहने पर नेताजी पलट गए तो मैं क्या करूंगा.

हालांकि मुलायम और अखिलेश बाप-बेटे हैं. बात करके फैसला कर सकते हैं. पुराने नेता इस कोशिश में हैं कि उम्मीद पर दुनिया कायम है. काश उम्मीद पूरी हो जाए इसलिए समाजवादी परिवार के इस झगड़े में परिवारवाद जोर पकड़ रहा है. समाजवाद पीछे छूट रहा है. लेकिन लगाम किसके हाथ होगी झगड़ा इस बात का है. तय होना है कि मुलायम छोड़ने को तैयार नहीं है और अखिलेश लगाम खींचे जा रहे हैं. इसलिए मामला उलझ रहा है.

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