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अक्षय तृतीया पर चारधाम यात्रा आज से शुरू, पीएम मोदी ने दी शुभकामनाएं

अक्षय तृतीया के मौके पर मंगलवार से चार धाम की यात्रा शुरू हो रही है. मंगलवार को श्रद्धालुओं के लिए गंगोत्री और यमनोत्री मंदिरों के कपाट खुल जाएंगे.

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 21 अप्रैल 2015,
  • अपडेटेड 9:17 AM IST

अक्षय तृतीया के मौके पर मंगलवार से चारधाम की यात्रा शुरू हो रही है. मंगलवार को श्रद्धालुओं के लिए गंगोत्री और यमनोत्री मंदिरों के कपाट खुल जाएंगे जबकि केदारनाथ के कपाट 24 अप्रैल को खुलेंगे. इसके अलावा बदरीनाथ के कपाट 26 अप्रैल को सुबह 5:15 बजे खुलेंगे.

बार-बार मौसम में आ रहे बदलाव के बावजूद प्रशासन ने चारधाम यात्रा की तैयारियों को लेकर पूरी व्यवस्था चाक-चौबंद होने का दावा किया है. उत्तराखंड के सीएम हरीश रावत खुद व्यवस्था का जायजा लेने के लिए केदारनाथ और बदरीनाथ का दौरा कर रहे हैं.

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12 साल बाद बन रहा है ये संयोग
इस वर्ष अक्षय तृतीया पर राजा सूर्य और मंत्री गुरु का दिव्य संयोग 12 साल बाद बन रहा है इसलिए इस पर्व का महत्व और अधिक बढ़ गया है. इस दौरान रोहिणी नक्षत्र पूरे दिन रात रहेगा. सूर्य और चंद्रमा दोनों ही अपनी-अपनी उच्च राशि में रहेंगे जो कि अच्छे फल देने वाला रहेगा.

यह अवसर आभूषणों, बर्तन की खरीदारी के लिए अति शुभ है. विशेषकर गृह प्रवेश, वाहन खरीद और अन्य बड़े कार्य शुरू करने के लिए अच्छा अवसर है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अक्षय तृतीया के अवसर पर देशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं.

यहां अक्षय तृतीया पर होता है पुतरा-पुतरी विवाह
छत्तीसगढ़ में प्राचीन काल से अक्षय तृतीया के दिन मिट्टी के पुतरा-पुतरी का विवाह कराने की परंपरा है. पुतरा-पुतरी (पुतला-पुतली) के विवाह की परंपरा निभाते हुए लोग बाद में अपने नाबालिग बच्चों के भी विवाह काराने लगे, हालांकि अब धीरे-धीरे इसे बंद कराने का प्रयास चल रहा है.

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छत्तीसगढ़ में रचे-बसे पुतरा-पुतरी के विवाह का विशेष महत्व है लेकिन बदलते समय और दौर के हिसाब से अब ये आधुनिकता की परिभाषा में गुड्डे-गुड़ियों की शादी के नाम से मशहूर हो गया है. बूढ़ेश्वर मंदिर के सामने पुतरा-पुतरी बेचने वाले मोहन चक्रधारी और सतीश चक्रधारी ने कहा कि अक्षय तृतीया पर गुड्डे-गुड़ियों का निर्माण मांग के आधार पर किया जा रहा है. इसके साथ ही परंपरागत मूर्तियां भी बाजार में मौजूद हैं.

चक्रधारी ने बताया कि वह इस पुश्तैनी कारोबार से जुड़े हैं. पुतरा-पुतरी बनाने में बांस और मिट्टी का इस्तेमाल होता है. उन्होंने बताया कि परंपरागत पुतरा-पुतरी 30 से 40 रुपये जोड़ी की दर से बिक रहे हैं, लेकिन स्टेज शो के साथ आधुनिक रूप ले चुकीं दूल्हा-दुल्हन की मूर्तियां 60 से 120 रुपये तक में उपलब्ध हैं.

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