Advertisement

अब साल भर चलेगी चारधाम यात्रा

उत्तराखंड की 30 फीसदी आबादी की आर्थिक रीढ़ कही जाने वाली चारधाम यात्रा को सरकार ने इस बार शीतकाल के दौरान भी जारी रखने का निर्णय लिया है.

aajtak.in
  • देहरादून,
  • 03 नवंबर 2014,
  • अपडेटेड 4:35 PM IST

उत्तराखंड की 30 फीसदी आबादी की आर्थिक रीढ़ कही जाने वाली चारधाम यात्रा को सरकार ने इस बार शीतकाल के दौरान भी जारी रखने का निर्णय लिया है. चारधाम यात्रा के अब तक के इतिहास में यह पहली बार उठाया गया कदम है. 2011 में बीजेपी सरकार ने भी ऐसी कोशिश की थी, लेकिन तैयारियों के अभाव में वह पूरी नहीं हो पाई.

Advertisement

आपदा से प्रभावित हुई यात्रा
पिछले साल जून में केदारनाथ में आई आपदा के बाद इस साल चारधाम आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या 60 फीसदी कम हो गई थी. इससे यात्रा पर आश्रित व्यापारियों, स्थानीय व्यवसायियों और निवासियों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया. मंदिरों को मिलने वाले चढ़ावे में भी भारी गिरावट आई है. आमदनी कम होने से मंदिरों के तकरीबन 325 कर्मचारियों को वेतन के लाले पड़ गए हैं. केदारनाथ और बद्रीनाथ मंदिर के कोष से कर्मचारियों का वेतन दिया जा रहा है.

बद्रीकेदार मंदिर समिति के अध्यक्ष गणेश गोदियाल कहते हैं, ''तीन-चार साल यही स्थिति रही तो सुरक्षित कोष भी खत्म हो जाएगा.” मुख्यमंत्री हरीश रावत कहते हैं, ''यात्रा के जरिए सरकार 40 लाख पर्यटकों-तीर्थयात्रियों को आकर्षित करना चाहती है. इससे लोगों की आजीविका का रास्ता खुलेगा.”

Advertisement

साधु-संतों का भी साथ
राज्य सरकार ने यात्रा मार्ग वाली सड़कों का सर्वेक्षण कराया है. परिवहन और पुलिस विभाग के सर्वे में 125 संवेदनशील स्थान चिन्हित हुए हैं, जहां सड़क संकरी होने से भूस्खलन का खतरा है. शीतकाल में इन धामों में तीर्थयात्री आएं, इसके लिए देश के सभी साधु-संतों से सरकार ने निवेदन किया है कि वे अपने समर्थकों को यात्रा पर भेजें. इसी के लिए सरकार ने श्री श्री रविशंकर, कथावाचक मोरारी बापू, सुधांशु महाराज, महंत रवींद्रपुरी, स्वामी ऋपिरेश्वरानंद, बाबा रामदेव समेत दर्जनों मठों के मठाधीशों और संतों को केदारनाथ की व्यवस्था का जायजा लेने का अनुरोध किया है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement