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CAA विरोध के बाद 13 जनवरी को खुलेगा AMU, लेकिन एकसाथ नहीं

नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में 15 दिसंबर को हुई हिंसा के बाद अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को बंद कर दिया गया था. एएमयू प्रशासन ने अब फैसला लिया है कि यूनिवर्सिटी को तीन चरणों में खोला जाएगा.

AMU के कुछ विभाग खोले जाएंगे (फाइल फोटो-PTI) AMU के कुछ विभाग खोले जाएंगे (फाइल फोटो-PTI)
शिवेंद्र श्रीवास्तव
  • अलीगढ़,
  • 07 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 7:20 PM IST

  • नागरिकाता कानून के खिलाफ 15 दिसंबर को अलीगढ़ में हुई थी हिंसा
  • 13 जनवरी को खुलेंगे मेडिसिन, मैनेजमेंट और इंजीनियरिंग कॉलेज

नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में 15 दिसंबर को हुई हिंसा के बाद अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को बंद कर दिया गया था. एएमयू प्रशासन ने अब फैसला लिया है कि यूनिवर्सिटी को तीन चरणों में खोला जाएगा. 13 जनवरी को मेडिसिन, यूनानी मेडिसिन, मैनेजमेंट, इंजीनियरिंग कॉलेज खोले जाएंगे.

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वहीं दूसरे चरण यानी 20 जनवरी को लॉ फैकल्टी, कॉमर्स, साइंस, लाइफ साइंस, एग्रीकल्चर साइंस और 24 जनवरी को आर्ट्स, सोशल साइंस, इंटरनेशनल स्टडीज, थियोलॉजी और पॉलिटेक्निक को खोला जाएगा. इस तरह एएमयू को कुल तीन चरणों में अलग-अलग खोला जाएगा.

गौरतलब है कि अलीगढ़ हिंसा मामले पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गई थीं. इन याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई हुई. याचिकाओं में जिक्र किया गया है कि पुलिस ने एमयू अलीगढ़ समेत कई जिलों में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बर्बर बल प्रयोग किया.

मानवाधिकार आयोग करेगा जांच

हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को मामले की जांच करने का आदेश दिया है. अब इस मामले पर 17 फरवरी को सुनवाई होगी. मोहम्मद अमन खान की याचिका के साथ कुल 5 याचिकाएं दाखिल की गई हैं. इस मामले पर चीफ जस्टिस गोविंद माथुर की अध्यक्षता वाली डिविजन बेंच में सुनवाई है.

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उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ समेत कई जिलों में पुलिस बर्बरता पर दाखिल जनहित याचिकाओं पर मंगलवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस गोविंद माथुर की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पूरे मामले की जांच करने का आदेश दिया. अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी.

क्या है पूरा मामला?

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदेश भर में विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा की घटनाएं सामने आई थीं. इसे देखते हुए मुंबई के अधिवक्ता अजय कुमार ने ईमेल के जरिये हाईकोर्ट को पत्र भेजा था. हाईकोर्ट ने पत्र का स्वतः संज्ञान लेते हुए इसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया था.

इसके बाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया था. इस नोटिस को अतिरिक्त मुख्य स्थायी अधिवक्ता ए के गोयल ने स्वीकार किया. सीएए के खिलाफ हुए हिंसक प्रदर्शन मामले की चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस विवेक वर्मा की खंडपीठ में सुनवाई हुई. इसी मामले में हाईकोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता फरमान नक़वी और अधिवक्ता रमेश कुमार यादव को न्याय मित्र नियुक्त कर दिया गया है.

(अलीगढ़ से अकरम की रिपोर्ट)

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