
आरुषि हत्याकांड में हाई कोर्ट ने तलवार दंपति को बरी करते हुए सीबीआई की जांच पर कई सवाल उठाए हैं. जस्टिस बीके नारायण और एके मिश्र ने जहां सबूतों से छेड़छाड़ और फर्जी गवाह पेश किए जाने की बात कही, वहीं क्राइम सीन को ड्रेस अप करना और इसके जैसी कई बातों की तरफ भी ध्यान दिलाया.
हाई कोर्ट ने एक गवाह भारती मंडल पर भी सवाल उठाए. भारती डॉ. तलवार के यहां काम करती थी. उसने ट्रायल कोर्ट में कहा था कि वारदात के बाद सुबह करीब 6 बजे वह राजेश तलवार के घर पहुंची थी. उस समय दरवाजा खुल नहीं पाया था. जिसके बाद सीबीआई ने इस बारे में कहा था कि भारती के बयान के आधार पर ऐसा अनुमान होता है कि उस कत्ल की रात दरवाजा अंदर से बंद था.
हालांकि, जब भारती से दोबारा बयान लिए गए तो उसने कहा कि जैसा उसे सिखाया गया था, ऐसा ही उसने अपने बयान में कहा. अब कोर्ट की बेंच ने कहा है कि भारती की दोनों गवाही से यह साफ होता है कि उसे गवाही देने से पहले से तैयार किया गया था.
कोर्ट ने एक फर्जी गवाह पेश करने की भी बात कही है. दरअसल, संजय चौहान ने गवाही में कहा था कि जब वह सुबह टहलने के समय उसने डॉ तलवार के घर पर पुलिस की गाड़ियां देखी. अंदर फर्श और रेलिंग पर खून लगा हुआ था. इस गवाह के मामले में बचाव पक्ष ने सीबीआई से सवाल किया कि उन्हें संजय के बारे में कैसे पता चला.
क्यूंकि संजय ने ट्रायल कोर्ट में गवाही के दौरान साफ कहा था कि घटनास्थल पर उसने पुलिस से कोई बात नहीं की थी. इस बात से साफ नजर आता है कि संजय सीबीआई का बनाया हुआ एक फर्जी गवाह था.
सीबीआई ने कहा था कि राजेश तलवार की गोल्फ स्टिक से आरुषि और हेमराज के सिर पर हमला किया गया. फिर दोनों के गले को सर्जिकल ब्लेड से काट दिया गया. लेकिन बेंच ने कहा कि रिकॉर्ड में इस बात का सबूत है कि जो गोल्फ स्टिक राजेश तलवार ने दी थी, न तो उसे ठीक से सील किया गया और न ही मालखाने में रखा गया. उसके साथ छेड़छाड़ भी की गई.
इस मामले में कोर्ट ने एक बात पर ध्यान दिलाया कि 2008 में सीबीआई ने एक साउंड टेस्ट किया था. दरअसल, राजेश और नूपुर ने कहा था कि एसी चलने की आवाज की वजह से उन दोनों के कमरे के बाहर होने वाली किसी भी क्रिया की आवाज नहीं आती. टेस्ट में भी यह बात सही साबित हुई लेकिन ट्रायल कोर्ट में यह बात नहीं बताई गई.
इस केस के ट्रायल के दौरान बचाव पक्ष ने कहा था कि हेमराज के खून से सना तकिया, कम्पाउंडर कृष्णा के कमरे में मिला. सीबीआई ने कृष्णा समेत राजकुमार और विजय को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था. लेकिन बाद में उन्हें छोड़ दिया गया. कार्रवाई के दौरान बचाव पक्ष ने कहा था कि यह साफ है कि कत्ल की रात कृष्णा और हेमराज एक साथ थे.
इसके अलावा राजेश और नूपुर को छोड़कर और भी कुछ लोग घर में मौजूद थे. हालांकि, सीबीआई ने जो दस्तावेज पेश किए हैं, उनमें कहा गया कि तकिया और उसका कवर हेमराज के रूम से बरामद हुआ था. इसके साथ सीडीएफडी, हैदराबाद की रिपोर्ट में "टाइपोग्राफिकल गलती" हुई थी
सीबीआई की रिपोर्ट में साफ था कि सबूतों में "किसी भी गलती की कोई संभावना नहीं है". लेकिन कोर्ट के समक्ष पेश किए गए सबूतों में अंतर था. कोर्ट ने सीडीएफडी के एसपी आर. प्रसाद की गवाही की ओर भी इशारा किया. प्रसाद ने कहा था कि सभी 56 सबूतों को ठीक से बंद किया गया था. लेकिन बाद में सबूतों के साथ छेड़छाड़ की गई.
ट्रायल कोर्ट ने नोट किया था कि नौकर हेमराज का शव घर की छत पर मिला था. छत के दरवाजे भी उस समय बंद थे. छत के दरवाजे को इस वारदत से पहले कभी बंद नहीं किया गया था और तलवार ने पुलिस को लॉक की चाबी नहीं दी थी. इसके साथ ही कहा गया था कि कोई बाहरी शख्स न तो शव को ऊपर ले जा सकता है और ना ही क्राइम सीन को ड्रेस अप कर सकता है.
हालांकि, हाई कोर्ट ने हेमराज के शव छुपाने वाली बात को नकार दिया. इस मामले में पहले कहा गया था कि तलवार दंपति ने हेमराज की हत्या कर उसके शव को छत पर छुपाया था. ताकि बाद में उसे ठिकाने लगा दिया जाए. लेकिन बेंच के मुताबिक, हत्या के बाद जांच में नोएडा पुलिस की लापरवाही के चलते हेमराज के शव को नहीं ढूंढा गया.
अभियोजन पक्ष ने बताया था कि आरुषि की हत्या के तुरंत बाद फ्लैट को धोया गया था. हालांकि, हाई कोर्ट ने इस मामले में साफ कहा है कि नोएडा पुलिस और सीबीआई के पास इस बात का कोई सबूत नहीं मिला है.