Advertisement

नियमों में संशोधन, यूपी लोकायुक्त चयन समीति से चीफ जस्टिस बाहर

यूपी में लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर महीनेभर से चल रहे विवाद में गुरुवार को नया मोड़ आ गया है. प्रदेश सरकार ने लोकायुक्त संशोधन विधेयक पारित करवाकर लोकायुक्त की नियुक्ति में इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की भूमिक खत्म कर दी है.

सीएम अखि‍लेश यादव पिता और सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के साथ सीएम अखि‍लेश यादव पिता और सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के साथ
aajtak.in
  • लखनऊ,
  • 27 अगस्त 2015,
  • अपडेटेड 6:41 AM IST

यूपी में लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर महीनेभर से चल रहे विवाद में गुरुवार को नया मोड़ आ गया है. प्रदेश सरकार ने लोकायुक्त संशोधन विधेयक पारित करवाकर लोकायुक्त की नियुक्ति में इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की भूमिक खत्म कर दी है.

यानी अब नए नियम के मुताबिक लोकायुक्त चयन समिति में मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष के अलावा विधानसभा अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट या फिर हाई कोर्ट से एक रिटायर्ड जज ही शामिल होंगे.

Advertisement

महीनेभर के अंदर चार बार लोकायुक्त नियुक्ति की फाइल लौटने के बाद यूपी सरकार ने एक बार फिर गेंद राज्यपाल के पाले में डाल दी है, वहीं नए नियम के तहत रिटायर्ड जज का नाम भी समिति के अध्यक्ष यानी सीएम और विधानसभा अध्यक्ष बातचीत कर तय करेंगे. इस नए संशोधन को सरकार की ओर से अपनी पसंद का लोकायुक्त बनाने की कोशिश माना जा रहा है. इससे पहले रिटायर्ड जस्टिस रवींद्र सिंह के नाम पर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने आपत्ति जताई थी.

जाहिर है समाजवादी पार्टी के जबरदस्त बहुमत के कारण सदन में सभी आंकड़े उसके पक्ष में हैं और इसका सीधा फायदा सरकार को मिला है. लेकिन आनन फानन में लाए गए इस संशोधन विधेयक से विपक्ष में भारी नाराजगी है. मुख्य विपक्षी पार्टी बीएसपी से नेता विरोधी दल हालांकि इससे पहले लोकायुक्त के तौर पर जस्टिस रवींद्र सिंह के नाम पर मुहर लगा चुके थे, लेकिन अचानक लाए गए संशोधन विधेयक और चयन प्रक्रिया नियमों में बदलाव से वो भी खासे तिलमिलाए हुए दिख रहे हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement