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अमिताभ बच्चन या अक्षय कुमार बनना है, तो ये चार कहानियां जरूर पढ़ें

मुंबई में सपने लेकर आना तो आसान है, मगर यहां उन सपनों को पूरा करने के लिए टिके रहना बहुत ही मुश्किल. इन दिनों चल रही जूनियर आर्टिस्ट्स की हड़ताल सपनों के इस शहर की हकीकत को एक बार फिर बयां कर रही है

Akshay kumar during shoot Akshay kumar during shoot
मेधा चावला
  • मुंबई,
  • 19 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 2:16 PM IST

सपनों की नगरी मुंबई इन दिनों किसी सेलिब्रेटी या फिल्म की वजह से चर्चा में नहीं है. वजह है 'फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने' (FWICE) के कर्मचारियों की हड़ताल. 15 अगस्त से ये कर्मचारी हड़ताल पर हैं. 

इस हड़ताल से इन कर्मचारियों की समस्याएं तो सामने आ ही रही हैं, मुंबई का एक बेदर्द चेहरा भी सामने है. ये वो मुंबई है, जो अक्षय कुमार या अमिताभ बच्चन बनाने का लालच देकर अपने पास बुलाती है और फिर संघर्ष की हर दिन गहरी होती खाई में धखेल देती है.

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इस समय हड़ताल पर चले ज्यादातर लोग भी ऐसे ही संघर्ष से घिरे हैं. ये बहुत से सपने लेकर मुंबई आए थे. मगर काम के अनिश्चित घंटे और कोई पहचान न मिलने की वजह से इनकी जिंदगी हर रोज नये सवालों से घिर रही है. अगर आप भी सोचते हैं कि मुंबई आकर नाम कमाना,अक्षय या अमिताभ बन जाना आसान है, तो आपके लिए इनकी कहानी सुनना जरूरी है.

 

राकेश रावत, जूनियर आर्टिस्ट

मैं यहां आर्टिस्ट बनने आया था, लेकिन बन नहीं पाया तो जूनियर आर्टिस्ट बन गया। मैं उत्तराखंड से आया हूं और 35 साल से यहां काम कर रहा हूं। देव साहब और राजेश खन्ना जैसा कलाकार बनना चाहता था, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। महीने में शिफ्ट के हिसाब से पैसा मिलता है। इसी संघर्ष में मैं बूढ़ा हो गया हूं। महीने में लगभग 30000  हजार मिल जाता है। मैं परिवार के साथ यहां रहता हूं। इतने पैसों में मुंबई में गुजारा करना बहुत मुश्किल है। हमें काम करना आता है। हम काम करना चाहते हैं। फिर भी हमें काम नहीं मिलता। सब जानते हैं कि जूनियर आर्टिस्ट भी फिल्मों के लिए बहुत जरूरी होते हैं. फिल्मों से करोड़ो का बिज़नेस होता है, लेकिन हमें पहचान मिलना तो दूर, पूरा पैसा भी नहीं मिलता।

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सलीम शेख, वैनिटी ड्राइवर

मैं फिल्म सिटी में 28 साल से काम कर रहा हूं। वैनिटी वैन का ड्राइवर हूं। तीन साल से सैलरी नहीं बढ़ी है। एक दिन का नौ से रुपये मिलता है. मगर काम के घंटे तय नहीं हैं. कभी-कभी लगातार 18 घंटे तक काम होता है. कुछ मांग करते हैं, तो कह दिय़ा जाता है कि कल से मत आना. जेनेरेटर और वैनिटी तय समय से एक घंटा पहले मंगाया जाता है और पैकअप करने के बाद भी 1 2 घंटा रुका के रखते हैं, जिसका पैसा नही मिलता।

 

मुमताज़ अंसारी, टेक्नीशियन

मैं 25-26 साल से यहां हूं. जब 17 साल का था, तब से इंडस्ट्री में काम कर रहा हूं। पहले सब ठीक था। साल 2000  से पेमेंट में गड़बड़ी होनी शुरू हुई। हर बार अपने ही पैसे लेने के लिए लड़ना पड़ता है. यहां तक कि साफ पानी मांगने पर हमें काम से निकाल देने की धमकी दे दी जाती है.

 

ब्लेनी सोरोस, जूनियर ऑर्टिस्ट

मैं 1990 से यहां काम कर रहा हूं। हमारे हालात बहुत खराब हो चुके हैं. मैं इस समय इंडस्ट्री के सभी बड़े कलाकारों अमिताभ जी, शाहरुख खान, अक्षय कुमार, सलमान खान सबसे रिक्वेस्ट करता हूं कि वे हमारा साथ दें. इन लोगों की हर परेशानी में हम उनके साथ खड़े हैं, लेकिन आज हम परेशान हैं, तो हमारा साथ देने वाला कोई नहीं हैं.

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