
ठाणे पुलिस ने 13 वर्षीय ‘खो खो’ खिलाड़ी की सड़क दुर्घटना में मौत के मामले में उसके टीम मैनेजर पर केस दर्ज कर लिया है. ये अपनी तरह का पहला मामला है कि सड़क हादसे में हुई खिलाड़ी की मौत के लिए उसकी टीम के मैनेजर पर केस दर्ज हुआ हो. 31 जनवरी 2016 को घोडबंदर रोड पर हुए सड़क हादसे में खो खो खिलाड़ी कार्तिक हरदास की मौत हुई थी.
महाराष्ट्र के अहमदनगर में परिवार के साथ रहने वाला कार्तिक माता-पिता की इकलौती संतान था. अहमदनगर के खो खो खिलाड़ियों की टीम में कार्तिक शामिल था. इस टीम का मैनेजर सुमीत चव्हाण था. हादसे के वक्त 19 साल का सुमीत अब 21 साल का है. इतनी कम उम्र में ही टीम का मैनेजर बन जाने वाला सुमीत का ताल्लुक गरीब परिवार से था. वो चाहता था कि उसकी टीम बहुत सारे टूर्नामेंट जीते और राष्ट्रीय स्तर पर उसे पहचान मिले. सुमीत एक बड़े कोच के तौर पर पहचान बनाना चाहता था.
जनवरी 2016 में ठाणे में ‘मेयर आर्ट्स एंड स्पोर्ट्स मीट’ का आयोजन किया गया. इसमें अहमदनगर से खो खो टीम भी हिस्सा लेने गई. टीम में कार्तिक समेत 11 खिलाड़ी थे. इस टूर्नामेंट में 14 साल से कम उम्र के ही खिलाड़ी हिस्सा ले सकते थे. टीम के साथ कोच के तौर पर सुमीत भी साथ था.
कैसे हुआ हादसा?
अहमदनगर से गई खो खो टीम घोड़बंदर रोड पर एक इमारत में ठहरी हुई थी. हादसे के दिन रात 11 बजे टीम के सदस्यों ने सड़क के पार जा कर मॉल में आइसक्रीम खाने का फैसला किया. जिस इमारत में टीम ठहरी हुई थी उसके बाहर सड़क क्रॉस करने के लिए कोई ओवरब्रिज या सिग्नल नहीं था. सड़क के बीच में ऊंचा डिवाइडर था. ऐसे में टीम के सदस्य दो-दो का जोड़ा बनाकर डिवाइडर को लांघ कर सड़क के दूसरी तरफ जाने लगे. सुमीत भी साथ था.मॉल में आइसक्रीम खाने के बाद जब वे लौट रहे थे तब डिवाइडर पर कार्तिक का संतुलन बिगड़ गया और वो नीचे सड़क पर जा गिरा. तभी वहां रफ्तार से आ रही कार ने कार्तिक को कुचल दिया. कार्तिक को अस्पताल पहुंचाया गया जहां उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई. दुर्घटना के वक्त कोई सीसीटीवी आसपास मौजूद नहीं था.
हादसे की जानकारी मिलने के बाद ठाणे के मेयर ने कार्तिक की मौत पर दुख जताया. साथ ही उसके परिवार को एक लाख रुपए की मदद का एलान किया. कपूरबावडी पुलिस स्टेशन ने अज्ञात कार ड्राइवर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की. इस अज्ञात ड्राइवर का अभी तक पता नहीं लगाया जा सका है.
कार्तिक के पिता ने सुमीत को जिम्मेदार ठहराया
हालांकि कार्तिक के पिता बाबा साहेब ने टीम मैनेजर सुमीत को अपने बेटे की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया. बाबा साहेब का कहना है कि टीम को बस की सुविधा मिली हुई थी. फिर क्यों नहीं हादसे वाले दिन मॉल जाने के लिए बस का इस्तेमाल किया गया. बाबा साहेब का कहना है कि मैनेजर के नाते टीम के सभी सदस्यों की सुरक्षा की जिम्मेदारी उसकी थी, फिर क्यों नहीं उसने सावधानी बरती. क्यों नहीं सिग्नल या जेबरा क्रासिंग से टीम को सड़क पार कराई?
एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक कार्तिक के पिता ने इस मामले में 21 शिकायत पत्र पुलिस को भेजे. कार्रवाई के दबाव में पुलिस ने हाल में वकीलों से राय ली और हादसे के दो साल बाद नया केस दर्ज किया. नए केस में पुलिस ने 2015 के जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धारा 75 के तहत सुमीत के खिलाफ बच्चे के खिलाफ क्रूरता बरतने और आईपीसी की धारा 336 के तहत मानव जीवन को खतरे में डालने के आरोप लगाए हैं.
पुलिस ने दो साल पहले जो मामला दर्ज किया था उसमें अज्ञात कार ड्राइवर को आईपीसी की धारा 304 ए के तहत आरोपी बनाया था. इस मामले में बहस का मुद्दा ये है कि सुमीत कैसे कार्तिक की मौत के लिए जिम्मेदार है. सड़क पर रफ्तार से आ रही कार ने कार्तिक की जान ली. कुछ शिक्षक और कोच भी इस हादसे को सिर्फ हादसा मान रहे हैं, कोच सुमीत को लापरवाही का दोषी ठहराने से वो सहमति नहीं रखते.
इस हादसे को लेकर कुछ भी तर्क दिए जाएं लेकिन सच्चाई ये है कि कार्तिक को कुचलने वाली कार का ड्राइवर का अभी तक कोई पता नहीं लगाया जा सका है. कार्तिक को जहां हादसे ने छीन लिया वहीं उभरते कोच को कानूनी लड़ाई का सामना करना पड़ रहा है.