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PM मोदी के नाम एक बिहारी का खुला खत

बिहार में पीएम मोदी की रैलियां बेअसर रहीं. बिहार की जनता ने उन्हें रैलियों में तो सुना, लेकिन अपना नेता नहीं स्वीकारा. अब राज्य में बीजेपी को विपक्ष में ही बैठना होगा. नतीजों के बाद एक बिहारी का मोदी के नाम खुला खत.

नरेंद्र मोदी नरेंद्र मोदी
सुरेश कुमार
  • पटना,
  • 08 नवंबर 2015,
  • अपडेटेड 6:52 PM IST

प्रिय मोदी जी,
हमारे डीएनए में क्या है यह हमने बता दिया. आपको जवाब मिल गया होगा. आपको देश की जनता ने जो काम सौंपा है उसे कीजिए और हमें हमारे हाल पर छोड़ दीजिए. आप ईमानदार रहेंगे तो हम भी खुशहाल रहेंगे. आपकी ईमानदारी में कमी आएगी तो बिहार फिर से बीमारू राज्य में शामिल हो जाएगा. पूरे चुनाव यही लगते रहा कि बिहार में नीतीश कुमार के मुकाबले आपही खड़ें हैं, इसलिए आज आपको लिख रहे हैं.

हमलोग तो उम्मीद करने लगे थे कि आप प्रधानमंत्री पद त्यागकर बिहार के सीएम बन जाएंगे, लेकिन आप घोषणा नहीं किए थे इसलिए भरोसा नहीं हुआ. नहीं तो आपके तमाम उलहानों के बावजूद आपको ही सीएम बनाते. मोदीजी आप हारे नहीं. नीतीशजी की जीत नहीं हुई है. यह जीत हमारी है. हम बिहार की जनता की. हम कभी हारे नहीं हैं. कुछ नेताओं ने ठान ली थी बिहार को हराने की, लेकिन वो नाकामयाब रहे. अगर आपकी नीयत ठीक नहीं है तो आप कभी जीत भी नहीं सकते.

आपके भाषणों को सुनने आपकी रैली में जाया करते थे. इस उम्मीद से कि आप कुछ सार्थक बातें सार्थक तरीके से करेंगे. लेकिन आापने क्या किया... शुरुआत आपने डीएनए पर सवाल खड़ा करने से की. आपके पास मुद्दों की कमी नहीं थी. जब आप किसी की अस्म‍िता पर सवाल उठाएंगे तो क्या आप यूं बचकर निकल जाएंगे? हम बिहार की जनता हैं, खाली हाथ नहीं जाने देते. माकूल जवाब दिया. लाखों लोगों ने अपना डीएनए टेस्ट कराकर आपको भेज दिया है. अब समय मिले तो अध्ययन कर लीजिएगा.

अगर वो जंलराज था तो जरूरी था ऐसा राज
आप जंगलराज की चर्चा करते रहे. आपने कभी उसके दूसरे पहलू को नहीं देखा. जो काम निर्वाचन आयोग आजादी के 40-45 वर्षों में नहीं कर पाया था, उसे लालू प्रसाद ने कर दिखाया था. राज्य के लाखों पिछड़ों को राजनीति की मुख्यधारा में शामिल कर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने वाले लालू प्रसाद का राज अगर जंगलराज था तो ऐसे राज की जरूरत थी. आपने बिहार की जनता को क्या समझा? आप मुख्यमंत्री पद पर किसे बैठाएंगे इसका खुलासा किए बिना हमसे यह उम्मीद कर रहे थे कि हम आपका साथ दें? यह कैसे संभव होता? आप खुद तो सीएम बनते नहीं, फिर पता नहीं कौन आपका अपना होता यहां का सीएम?

हमारा हक भी भीख की तरह दिया
बीमारू कह कर आप कब तक नेताओं की नाकामयाबियों को छुपाते रहेंगे. अगर कोई राज्य पिछड़ रहा है तो अपने नेताओं की नाकामयाबियों की वजह से, उनकी बेइमानियों की वजह से, उनकी गलत नीतियों के कारण. इसमें जनता कहां है. उसकी गलती कहां है. लेकिन बीमारू प्रदेश की निवासी जनता बनती है. आप आए और कह कर चले गए. आप अपनी गलती की दुहाई हमसे करके चले गए. यह तो हद थी. जो हम लोगों का हक था उसे आपने भीख की तरह देने की घोषणा की. बिहार का इतिहास ऐसा नहीं रहा है. काफी समृद्ध धरती रही है बिहार की. ज्ञान-विज्ञान और शि‍क्षा में इतने भी पिछड़े नहीं रहे हैं हम.

आपसे बड़ा जातिवाद का पुरोधा कोई नहीं
आप जाति की राजनीति नहीं करते लेकिन बिहार में आपने उससे अलग भी नहीं किया. ...और आप हमें जातिवादी कहते हैं? आप से बड़ी जातिवाद का पुरोधा हमें कोई दूसरा नहीं दिखा. आप कम से कम इससे अलग अपनी बात कर सकते थे. हम लोग धान के उस बिचड़े की तरह हैं जो बिखरकर पैदावार बढ़ाते हैं. देश के किसी राज्य में चले जाए हम आपको मिल जाएंगे. हमारे परिश्रम ने कई राज्यों को समृद्ध किया है और अभी कर भी रहे हैं. इसे आप हमारी कमजोरी समझते हैं हम अपनी ताकत. जिस राज्य से हम निकल जाएंगे उस राज्य की अर्थव्यवस्था हमारे साथ ही चली जाएगी. ऐसा यकीन है हमारा. चाहे तो आजमा लीजिएगा.

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अब वक्त मिले तो सोचिएगा मोदीजी...
मोदी जी, कभी वक्त मिले तो सोचि‍एगा. न हम हारे हैं न हम हारेंगे. हमारे डीएनए ने आपको बता दिया होगा कि हम कौन हैं और क्या हैं. आपको हमारे राज्य की जनता ने बता दिया होगा कि बिहारी होने के मायने क्या हैं. दुनिया को लोकतंत्र का पाठ पढ़ाने वाली धरती पर कभी आना हो तो यहां की जनता का सम्मान करना मत भूलिएगा. हम लोग अतिथि‍यों का सम्मान करना बखूबी जानते हैं.

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