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आंध्र में NTR के नाम पर जगन मोहन का सियासी दांव, चंद्रबाबू की मुश्किल

दरअसल, चंद्रबाबू और जगन मोहन दोनों की कोशिश यही दिखाने की है कि आंध्र के लोगों का कौन सबसे बड़ा हितैषी है. आंध्र के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत वाई एस आर रेड्डी के बेटे जगन मोहन ने अब बड़ा राजनीतिक दांव खेला है जो चंद्रबाबू के लिए परेशानी का सबब हो सकता है.

वाईएसआर कांग्रेस के नेता वाई एस जगन मोहन रेड्डी (File) वाईएसआर कांग्रेस के नेता वाई एस जगन मोहन रेड्डी (File)
आशीष पांडेय
  • हैदराबाद,
  • 30 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 2:59 PM IST

आंध्र प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. राज्य को विशेष दर्जे की मांग पूरी ना होने पर आंध्र के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू हाल में एनडीए से नाता तोड़ चुके हैं. वहीं राज्य में विपक्षी पार्टी वाईएसआर कांग्रेस के नेता वाई एस जगन मोहन रेड्डी ने इसी मुद्दे पर लगातार दबाव बनाए रखा था.

दरअसल, चंद्रबाबू और जगन मोहन दोनों की कोशिश यही दिखाने की है कि आंध्र के लोगों का कौन सबसे बड़ा हितैषी है. आंध्र के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत वाई एस आर रेड्डी के बेटे जगन मोहन ने अब बड़ा राजनीतिक दांव खेला है जो चंद्रबाबू के लिए परेशानी का सबब हो सकता है. जगन मोहन ने एलान किया है कि उनकी पार्टी अगर आंध्र में सत्ता में आती है तो कृष्णा जिले का नाम बदल कर पूर्व मुख्यमंत्री एन टी रामाराव (एनटीआर) के नाम पर कर दिया जाएगा. 

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बता दें कि चंद्रबाबू दिवंगत एनटीआर के दामाद हैं. राजनीति में आने से पहले एनटीआर तेलुगु फिल्मों के जानेमाने अभिनेता थे. उन्होंने ही तेलुगु देशम पार्टी का 1982 में गठन किया था. तेलुगु देशम ने 1983 में पहली बार आंध्र में विधानसभा चुनाव लड़ा और शानदार प्रदर्शन करते हुए पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में कामयाबी पाई.

एनटीआर के मुख्यमंत्री के तौर पर तीसरे कार्यकाल के दौरान 1995 में तेलुगु देशम में अंदरूनी कलहबाजी के बाद एनटीआर को हाशिए पर कर दिया गया और चंद्रबाबू पार्टी के सर्वेसर्वा बनने के साथ ही पहली बार आंध्र के मुख्यमंत्री भी बन गए. उसके बाद 23 साल में आंध्र में काफी कुछ बदल गया है. चंद्रबाबू पहले 1995 से 2004 तक मुख्यमंत्री रहे. फिर 2004 से 2014 तक आंध्र की सत्ता कांग्रेस के हाथ में रही. 2014 विधानसभा चुनाव जीतने के बाद चंद्रबाबू की पार्टी की फिर आंध्र की सत्ता में वापसी हुई.

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जगन मोहन के पिता वाई एस राजशेखर रेड्डी 2004 से 2009 तक मुख्यमंत्री रहे. मुख्यमंत्री रहते ही उनकी हेलीकॉप्टर हादसे में मौत हो गई थी. उनके बेटे जगन मोहन ने आगे चलकर कांग्रेस से अलग होकर वाईएसआर कांग्रेस के नाम से अपनी पार्टी बना ली. वाईएसआर कांग्रेस ही अब आंध्र में मुख्य विपक्षी पार्टी है.

जगन मोहन ने चुनाव जीतने की स्थिति में कृष्णा जिले का नाम एनटीआर पर करने का जो एलान किया है वो चंद्र बाबू के लिए इसलिए परेशानी वाला है क्योंकि आंध्र में अब भी बड़ी संख्या में लोग एनटीआर को शिद्दत के साथ याद करते हैं. कृष्णा जिले में ही एनटीआर का जन्म हुआ था.  

जगन मोहन इन दिनों राज्य के लोगों से संपर्क के लिए 3000 किलोमीटर लंबी पदयात्रा पर हैं. जगन मोहन ने एनटीआर के पुश्तैनी गांव निमाकुरू में जाकर विधानसभा चुनाव जीतने की स्थिति में कृष्णा जिले का नाम एनटीआर पर करने का एलान किया.  

इस मौके पर जगन मोहन ने कहा, ‘ये धरतीपुत्र और तेलुगु देशम के संस्थापक एनटीआर को सही मायने में श्रद्धाजंलि देना होगा.’ जगन मोहन ने साथ ही चंद्रबाबू नायडू सरकार पर आरोप लगाया कि उसके कार्यकाल में सबसे बड़े तेलुगु नेता (एनटीआर) के जन्मस्थान की अनदेखी की गई.   

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जगन मोहन ने मुख्यमंत्री चंद्रबाबू के बेटे और आंध्र के आईटी मंत्री एन लोकेश पर भी निशाना साधा. लोकेश चंद्रबाबू के बेटे हैं. लोकेश ने एनटीआर के पुश्तैनी गांव निमाकुरु को गोद लिया हुआ है और यहां विकास कार्यों की देखरेख की उन पर जिम्मेदारी है. जगन मोहन ने लोकेश पर आरोप लगाया कि वो क्षेत्र में अवैध खनन को बढ़ावा देने के साथ ही भ्रष्टों को संरक्षण देने में लगे हैं.

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