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सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके चुनावी वादों की याद दिलाई और कहा कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर यूपीए और एनडीए सरकार में कोई अंतर नहीं है.
उन्होंने पीएम मोदी को लिखी गई तीन पन्नों की चिट्ठी में कहा कि भ्रष्टाचार को कम करने के लिए लोकपाल और लोकायुक्त लागू करने जरूरी हैं और किसानों को आत्महत्या से रोकने के लिए कृषि उत्पादों का वाजिब मूल्य दिया जाना चाहिए.
'भ्रष्टाचार अब तक कम नहीं हुआ'
अन्ना ने प्रधानमंत्री को याद दिलाया कि चुनाव से पहले उन्होंने ने वादा किया था कि सत्ता में आने पर वह देश को भ्रष्टाचारमुक्त कर देंगे. उन्होंने लिखा, 'भ्रष्टाचार अब तक कम नहीं हुआ है. महंगाई भी कम नहीं हुई है. भ्रष्टाचार के मामले में यूपीए और एनडीए सरकारों में कोई फर्क नहीं है.'
15 लाख तो दूर की बात है....
उन्होंने कहा कि मोदी ने वादा किया था सरकार बनने के पहले 100 दिनों में ही विदेश में छुपा कर रखा गया काला धन देश लाया जाएगा और हर भारतीय के बैंक खाते में 15 लाख रुपये जमा कर दिए जाएंगे लेकिन यह अभी तक नहीं हो पाया है. अन्ना ने कहा , '15 लाख रुपए तो दूर 15 रुपये भी लोगों को नहीं मिले.'
'हो सकता है आपको गुस्सा आ जाए...'
चिट्ठी में अन्ना ने कहा, 'आप न तो लोकपाल और लोकायुक्त कानून की बात कर रहे हैं, न ही उसे लागू कर रहे हैं. हमें उम्मीद थी कि आप 'मन की बात' कार्यक्रम में इस पर कुछ कहेंगे.' उन्होंने यह भी कहा, 'हो सकता है कि आपको मेरे पत्र से गुस्सा आए और आप उसे कचरे के डिब्बे में फेंक दें. मैं तो एक साधारण आदमी हूं, जिसके पास सरकार के विरुद्ध कोई शक्ति नहीं है. मैं अधिक से अधिक यही कर सकता हूं कि आंदोलन शुरू करूं.'