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AoL एनजीटी में भी अपने रुख पर कायम, कहा- जिसने दी इजाजत वो चुकाए 42 करोड़

आर्ट ऑफ लिविंग एनजीटी मे हुई सुनवाई के दौरान अपने उसी रुख पर कायम है जो बयान श्रीश्री रविशंकर ने कुछ दिनों पहले मीडिया में दिया था. अपने बयान में रविशंकर ने कहा था कि 42 करोड़ का जो फाइन उन पर लगाया गया है वो तो केंद्र, दिल्ली सरकार और खुद एनजीटी से वसूल की जानी चाहिए क्योंकि वर्ल्ड कल्चरल फेस्टिवल को कराने की इजाजत इन्होंने ही दी है.

श्रीश्री रविशंकर श्रीश्री रविशंकर
पूनम शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 10 मई 2017,
  • अपडेटेड 12:07 AM IST

आर्ट ऑफ लिविंग एनजीटी मे हुई सुनवाई के दौरान अपने उसी रुख पर कायम है जो बयान श्रीश्री रविशंकर ने कुछ दिनों पहले मीडिया में दिया था. अपने बयान में रविशंकर ने कहा था कि 42 करोड़ का जो फाइन उन पर लगाया गया है वो तो केंद्र, दिल्ली सरकार और खुद एनजीटी से वसूल की जानी चाहिए क्योंकि वर्ल्ड कल्चरल फेस्टिवल को कराने की इजाजत इन्होंने ही दी है. लिहाजा फाइन की रकम भी इन्हीं विभागों से वसूली जानी चाहिए.

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एनजीटी ने आर्ट ऑफ लिविंग के कोर्ट में इस जवाब के बाद डीडीए, दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस, पर्यावरण मंत्रालय, पर्यटन मंत्रालय समेत प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड से कहा है कि बुधवार तक अपना जवाब एनजीटी को दें कि आर्ट ऑफ लिविंग के उनसे 42 करोड़ रुपये वसूलने को लेकर उनका क्या पक्ष है. इस मामले में एक और याचिकाकर्ता बिग बॉस फेम स्वामी ओमजी ने कहा कि याचिकाकर्ता मनोज मिश्रा से एनजीटी एक्ट के तहत 43 करोड़ का 1 फीसदी कोर्ट फीस के तौर पर वसूला जाए. साथ ही याचिकाकर्ता ये भी साबित करे कि कल्चरल फेस्टिवल के होने से उनका अपना क्या नुकसान हुआ. एनजीटी 11 मई को इस मामले में फिर सुनवाई करेगा.

इससे पहले 27 अप्रैल को एनजीटी आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर को नोटिस भी कर चुकी है. ये नोटिस कोर्ट में याचिकाकर्ता की लगाई गई एक अवमानना की अर्जी पर किया गया था. अर्जी में कहा गया है कि संस्था ऑर्ट ऑफ लिविंग (AoL) के विश्व सांस्कृतिक महोत्सव से यमुना को हुए नुकसान के मामले में हुई सुनवाई के बाद श्रीश्री रविशंकर ने जो बयान दिया है वो बेहद आपत्तिजनक है और कोर्ट की अवमामना है. मीडिया में कुछ दिन पहले दिए बयान में श्रीश्री रविशंकर ने कहा था कि वो जुर्माना क्यों भरें, जुर्माना तो केन्द्र सरकार, दिल्ली सरकार और खुद एनजीटी को भरना चाहिए क्योंकि विश्व सांस्कृतिक महोत्सव को कराने की इजाजत हमें इन्हीं से मिली थी. हालांकि अभी तक एनजीटी में आर्ट ऑफ लिविंग की तरफ से इस पर जवाब नहीं आया है.

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एनजीटी के आदेश पर बनायी गई समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर की संस्था ऑर्ट ऑफ लिविंग (AoL) के विश्व सांस्कृतिक महोत्सव से यमुना के डूब क्षेत्र को पूरी तरह बर्बाद कर दिया गया है. श्रीश्री रविशंकर के इस कार्यक्रम से यमुना की पारिस्थितिकी को हुए भौतिक और जैविक नुकसान को ठीक करने में कुल 42 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. 10 वर्षों तक चलने वाले इस काम में जैविक नुकसान की भरपाई में 13.29 करोड़ रुपये तथा भौतिक क्षति को ठीक करने में 28.73 करोड़ रुपये का खर्च बैठेगा.

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