
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के प्रधान सचिव के दफ्तर में सीबीआई के छापेमारी का मामला अब बड़ा राजनीतिक विवाद बन गया है. दफ्तर को सील किए जाने से नाराज केजरीवाल ने इसे राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'मनोरोगी' और 'डरपोक' तक कह डाला. अब दिल्ली के सीएम के रवैये पर ही सवाल उठने लगे हैं और उनकी चौतरफा आलोचना भी की जा रही है.
केजरीवाल ने ये भी कहा कि जांच एजेंसी की टीम, वित्त मंत्री अरुण जेटली के भ्रष्टाचार से जुड़ी फाइलें तलाशने आई थी. बीजेपी नेताओं ने केजरीवाल के शब्दों के चयन की निंदा करते हुए उनसे माफी मांगने के लिए कहा है.
सीबीआई का सहयोग करें केजरीवाल: बेदी
कभी केजरीवाल की करीबी रहीं पूर्व आईपीएस ऑफिसर किरण बेदी ने भी उन्हें आड़े हाथों लिया है. उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि केजरीवाल जी ने एक मौका खो दिया है. क्योंकि प्रधान सचिव एक बहुत ही विश्वसनीय पद है और केजरीवाल हमेशा भ्रष्टाचार के खिलाफ रहे हैं, इसलिए उन्हें सीबीआई को सपोर्ट करना चाहिए था.' किरण ने कहा कि सीएम को इसे राजनीतिक प्रतिशोध बताने की बजाय सीबीआई का सहयोग करना चाहिए था और जांच एजेंसी से सबूतों की मांग करनी चाहिए थी.
बेदी ने कहा कि पीएम मोदी के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल करने के लिए केजरीवाल की माफी काफी नहीं होगी बल्कि इसके लिए उन्हें सजा दी जानी चाहिए. उन्होंने कहा, 'माफी मांगना काफी नहीं है. उन्हें सजा मिलनी चाहिए. इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करने पर एक कॉन्सटेबल को बर्खास्त कर दिया जाता.'
सुब्रमण्यम ने भी की केजरीवाल की निंदा
पूर्व कैबिनेट सचिव टीएसआर सुब्रमण्यम ने भी केजरीवाल की भाषा को गलत ठहराया है. उन्होंने कहा, 'आज हमें बहुत बड़ा नुकसान हुआ है. भाषा न सिर्फ असंवैधानिक है बल्कि अनुचित और अस्वीकार्य है.'
जब सुब्रमण्यम से पूछा गया कि क्या दिल्ली सचिवालय पर छापे से पहले सीबीआई को इसकी जानकारी केजरीवाल को देनी चाहिए थी, इस पर उन्होंने कहा, 'पहले से जानकारी देने से का कोई प्रावधान नहीं है. 14 जगहों पर छापे मारे गए, जिनमें सीएम का दफ्तर शामिल नहीं था. रेड पर उनकी प्रतिक्रिया वो बहुत ही बचकानी है और भाषा अनुचित है, जो राजनीतिक रूप से निराशाजनक है.' सुब्रमण्यम ने साथ ही उम्मीद जताई की सीबीआई राजेंद्र कुमार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी.