Advertisement

केजरीवाल पर भड़के कुमार विश्वास, बोले- परिवार-संस्कार-सरोकार जैसे शब्दों को तो बख्श दो

दिल्ली में 2015 आम आदमी पार्टी को मिली भारी जीत के समय केजरीवाल के साथ कई दिग्गज नेता थे. लेकिन सत्ता में आने के बाद वे एक-एक करके किनारे कर दिए गए. इनमें योगेंद्र यादव , प्रशांत भूषण और आनंद कुमार प्रमुख थे. पार्टी के एक अन्य प्रमुख चेहरा कुमार विश्वास पार्टी में तो हैं, लेकिन एक तरह से वनवास ही भुगत रहे हैं.

अरविंद केजरीवाल के पुराने सहयोगी रहे हैं कुमारविश्वास (फोटो-@DrKumarVishwas) अरविंद केजरीवाल के पुराने सहयोगी रहे हैं कुमारविश्वास (फोटो-@DrKumarVishwas)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 21 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 10:41 PM IST

  • सात घंटे लंबे के इंतजार के बाद केजरीवाल कर पाए नामांकन
  • केजरीवाल ने दोस्तों के साथ षड्यंत्रकारी हत्यारों जैसा व्यवहार किया-कुमार विश्वास

दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल मंगलवार को काफी माथापच्ची के बाद अपना पर्चा दाखिल कर पाए. सात घंटे के लंबे इंतजार के बाद केजरीवाल नामांकन कर पाए. उन्हें नामांकन के लिए इसलिए इंतजार करना पड़ा क्योंकि पर्चा दाखिल करने वालों को संख्या काफी थी. इसी बात को लेकर अरविंद केजरीवाल के पुराने सहयोगी कुमार विश्वास ने उन पर तंज कसा.

Advertisement

असल में, नामांकन की लंबी लाइन के चलते ही टोकन दिए गए थे. केजरीवाल का टोकन नंबर 45 था. सीएम केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा है कि वे अपना नामांकन दाखिल करने के लिए इंतजार कर रहे हैं. उन्होंने ट्वीट किया, "पर्चा दाखिल करने का इंतजार कर रहा हूं, मेरा टोकन नंबर 45 है. यहां पर्चा भरने के लिए कई लोग लाइन में लगे हैं, मुझे बहुत खुशी है कि लोकतंत्र के इस पर्व में कई लोग शिरकत कर रहे हैं."

ये भी पढ़ेंः 7 घंटे इंतजार के बाद अरविंद केजरीवाल ने नई दिल्ली सीट से दाखिल किया नामांकन

नामांकन के लिए इंतजार करते हुए केजरीवाल ने ट्वीट किया, 'कोई बात नहीं. कई लोग पहली बार नामांकन कर रहे हैं. वे गलतियां कर रहे हैं. हमने भी पहली बार गलती की थी. हमें उनका साथ देना चाहिए. मुझे उनके साथ इंतजार करते हुए मजा आ रहा है. वे सभी मेरे परिवार के हिस्सा हैं.'

Advertisement

केजरीवाल के इसी ट्वीट पर शुरुआती दिनों के सहयोगी रहे कुमार विश्वास भड़क गए. कुमार विश्वास ने ट्वीट किया, 'फैमिली? जिस अन्ना को पिता कहा, जिस योगेंद्र यादव को बड़ा भाई कहा, जिस दोस्त को छोटा भाई कहा, उन सब के साथ जैसा षड्यंत्रकारी हत्यारों जैसा व्यवहार किया था, इन बेचारों के साथ भी वैसा ही व्यवहार करोगे क्या. कम से कम, “परिवार-संस्कार-सरोकार” जैसे शब्दों को तो बख्श दो अब.'

ये भी पढ़ेंः अकाली दल के बाद अब JJP नहीं लड़ेगी दिल्ली चुनाव

असल में, वर्ष 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव से कुछ समय पहले ही ‘AAP’ का गठन हुआ था और उस चुनाव में दिल्ली में पहली बार त्रिकोणीय संघर्ष हुआ, जिसमें 15 वर्ष से सत्ता पर काबिज कांग्रेस 70 में से केवल आठ सीटें जीत पाई जबकि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार बनाने से केवल चार कदम दूर मतलब 32 सीटों पर अटक गई. ‘AAP’ को 28 सीटें मिली और शेष दो अन्य के खाते में रहीं.

मगर दिल्ली में 2015 आम आदमी पार्टी को मिली भारी जीत के समय केजरीवाल के साथ कई दिग्गज नेता थे. लेकिन सत्ता में आने के बाद वे एक-एक करके किनारे कर दिए गए. इनमें योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण और आनंद कुमार प्रमुख थे. पार्टी के एक अन्य प्रमुख चेहरा कुमार विश्वास पार्टी में तो हैं लेकिन एक तरह से वनवास ही भुगत रहे हैं.

Advertisement

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement