
समाजवादी पार्टी में आंतरिक कलह के बीच अखिलेश खेमे में अहम भूमिका निभा रहे रामगोपाल यादव एक बार फिर चुनाव आयोग के पास पहुंचे. रामगोपाल ने 205 विधायकों के समर्थन का हलफनामा चुनाव आयोग में दिया. साथ ही रामगोपाल ने फिर दावा ठोंका कि असली समाजवादी पार्टी अखिलेश की अगुवाई वाली है. इसके साथ ही उन्होंने साइकिल चुनाव चिह्न अखिलेश की अगुवाई वाली पार्टी को देने की मांग की.
रामगोपाल यादव ने दावा किया कि सपा में 90 फीसदी से ज्यादा नेता और कार्यकर्ता अखिलेश के समर्थन में हैं. उन्होंने कहा कि कुल 5731 में 4716 प्रतिनिधियों के हलफनामे भी हम चुनाव आयोग में दायर करेंगे.
वहीं सुलह की आखिरी कोशिशों के बीच लगातार बैठकों और मुलाकातों का दौर जारी है. ऐसे में यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री आजम खान आज एक बार फिर मुलायम सिंह यादव से मुलाकात कर सुलह की कोशिश करेंगे. सूत्रों के मुताबिक अगर अखिलेश-मुलायम के बीच किसी समझौते पर बात बनी तो मुलायम सिंह याद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कोई बड़ा ऐलान भी कर सकते हैं.
उधर समाजवादी पार्टी में अखिलेश गुट का दावा है कि अब अखिलेश ही राष्ट्रीय अध्यक्ष रहेंगे. अखिलेश समर्थकों के मुताबिक पार्टी राष्ट्रीय अधिवेशन के जरिए अखिलेश यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है. ऐसे में पार्टी के 90 फीसदी लोगों ने उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना है अब वह इस जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकते.
इससे पहले अमर सिंह ने शुक्रवार को जो बयान दिया था उस पर भी अखिलेश गुट ने अमर सिंह पर निशाना साधा. समर्थकों का कहना है कि परिवार के निजी रिश्तों का हवाला देकर अखिलेश यादव को इमोशनल ब्लैक मेल किया जा रहा है. अमर सिंह ने शुक्रवार को अपने बयान में कहा था कि अखिलेश का पालन-पोषण चाचा शिवापाल के घर में हुआ है और वही उनके ज्यादा करीब है. साथ ही अमर सिंह ने मुलायम सिंह पर कहा कि इस पूरे विवाद में नेता जी बिल्कुल अकेले पड़ गए हैं.
वहीं दूसरी ओर अखिलेश यादव चुनाव में उतरने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. सूत्रों की मानें तो अखिलेश ने पार्टी का घोषणापत्र तैयार कर लिया है. अगली 10 जनवरी के बाद कभी भी वह अपना घोषणापत्र जारी कर सकते हैं. साथ ही समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन लगभग तय माना जा रहा है. 10 जनवरी को अखिलेश यादव और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की मुलाकात हो सकती है. इस मुलाकात में गठबंधन पर आखिरी मुहर लग सकती है और सीटों के बंटवारे पर भी समझौता हो सकता है.