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ऐलान तो कर दिया, लेकिन पुरस्कार लौटाना भूल गए ज्यादातर साहित्यकार

देश में बढ़ते सांप्रदायिक माहौल का हवाला देकर इन दिनों साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने का सिलसिला होड़ की हद तक पहुंच गया है. आपको ये जानकर हैरानी होगी कि पुरस्कार लौटाने की घोषणा करने वालों में ज्यादातर लेखक ऐसे हैं, जिन्होंने पुरस्कार लौटाने की घोषणा कर सनसनी तो फैला दी, लेकिन साहित्य अकादमी को इस बारे में चिट्ठी तक नहीं लिखी है.

अब तक 23 लेखकों ने की है पुरस्कार लौटाने की घोषणा अब तक 23 लेखकों ने की है पुरस्कार लौटाने की घोषणा
स्‍वपनल सोनल/संजय शर्मा/बालकृष्ण
  • नई दिल्ली,
  • 13 अक्टूबर 2015,
  • अपडेटेड 8:30 AM IST

देश में बढ़ते सांप्रदायिक माहौल का हवाला देकर इन दिनों साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने का सिलसिला होड़ की हद तक पहुंच गया है. आपको ये जानकर हैरानी होगी कि पुरस्कार लौटाने की घोषणा करने वालों में ज्यादातर लेखक ऐसे हैं, जिन्होंने पुरस्कार लौटाने की घोषणा कर सनसनी तो फैला दी, लेकिन साहित्य अकादमी को इस बारे में चिट्ठी तक नहीं लिखी है.

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यह दिलचस्प मामला है, क्योंकि जहां एक ओर देश में पुरस्कार लौटाने वालों की संख्या दो दर्जन तक पहुंच चुकी है, वहीं इनमें से सिर्फ इक्का-दुक्का ही हैं जिन्होंने अकादमी पुरस्कार का स्मृति चिह्न और पुरस्कार राशि लौटाने की हिम्मत दिखाई है.

साहित्य अकादमी अपने सम्मानित लेखकों के कारण लगातार चर्चा में है. यहां काम करने हर दिन किसी न किसी लेखक की ओर से सम्मान लौटाने की घोषणा को सुनकर हैरान हो रहे हैं, जबकि अब तक 23 साहित्यकार अकादमी पुरस्कार लौटाने का ऐलान कर चुके हैं. दादरी घटना के बाद अचानक ही साहित्य अकादमी पुरस्कार लेखकों के लिए गुस्सा जताने का मंच बन गया है.

साहित्यकारों को साहित्य अकादमी पुरस्कार के रूप में वर्तमान समय में एक लाख रुपये, एक शॉल और स्मृति चिह्न दिया जाता है.

सिर्फ आठ ने लिखी चिट्ठी
साहित्य अकादमी को अब तक आधिकारिक तौर पर सिर्फ आठ साहित्यकारों की ओर से पुरस्कार लौटाने के फैसले की चिट्ठी मिली है. इनमें से भी सिर्फ तीन उदय प्रकाश, अशोक वाजपेयी और अमन सेठी ने पुरस्कार राशि और स्मृति चिह्न लौटाया है.

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पुरस्कार लौटाने वालों में दो लेखक जीएन देवी और सुरजीत पातर ऐसे हैं, जिन्हें पद्म पुरस्कार भी मिल चुके हैं. ऐसे में अब सवाल उठने लगे हैं कि पुरस्कार लौटाने का मकसद विरोध जताना है तो ये लेखक पद्म श्री भी क्यों नहीं लौटा रहे. हालांकि पंजाबी लेखि‍का दलीप कौर तिवाना ने मंगलवार को पद्म श्री पुरस्कार लौटाने की घोषणा की है.

बहरहाल, साहित्य अकादमी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए 23 अक्तूबर को आपातकालीन मीटिंग बुलाई है. समझा जा रह है इसमें इस बाबत विचार किया जाएगा कि साहित्यकारों की नाराजगी कैसे दूर की जाए.

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