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मालदा और पूर्णिया की हिंसक घटनाओं को देश के लिये चिंताजनक करार देते हुए बीजेपी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि असहिष्णुता के नाम पर सरकारी पुरस्कार लौटाने वाली हस्तियां इन वाकयों पर चुप क्यों हैं.
विजयवर्गीय ने रविवार रात संवाददाताओं से कहा, ‘पिछले दिनों मालदा और पूर्णिया में जो हिंसक घटनाएं सामने आयीं, वे देश के लिये चिंताजनक है. असहिष्णुता के नाम पर सरकारी पुरस्कार लौटाने वाली हस्तियां इन घटनाओं पर खामोश क्यों हैं.’ उन्होंने कहा, ‘कमर मटकाकर पैसे कमाने वाले कुछ अभिनेता जो पिछले दिनों देश में असहिष्णुता बढ़ने की बात कर रहे थे, क्या वे मालदा और पूर्णिया की घटनाओं पर भी कुछ टिप्पणी करेंगे.’
मालदा और पूर्णिया की नहीं की गई कवरेज
विजयवर्गीय ने कहा, ‘मैं मीडिया का बहुत सम्मान करता हूं. लेकिन मीडिया ने जितना वक्त दादरी कांड के कवेरज को दिया, उसका 10 प्रतिशत समय भी पूर्णिया और मालदा की घटनाओं को नहीं दिया. हम मीडिया से अपेक्षा करते हैं कि वह ऐसे चेहरों को बेनकाब करे जो कानून को अपनी जेब में रखकर घूमते हैं.’ भाजपा के पश्चिम बंगाल प्रभारी ने आरोप लगाया कि मालदा की हिंसक घटना में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और ऐसे असामाजिक तत्वों की प्रमुख भूमिका थी जिन पर बांग्लादेश से गायों, अफीम और नकली भारतीय मुद्रा की तस्करी के गंभीर आरोप हैं.'
सीएम ममता बनर्जी पर उठाए सवाल
विजयवर्गीय ने कहा, ‘पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कह रही हैं कि मालदा की घटना सांप्रदायिक झगड़ा नहीं थी. चलिये, हम एक पल को उनकी बात मान लेते हैं. लेकिन क्या वह मालदा की घटना में अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं के शामिल होने के सवालों का जवाब देंगी.’
आने वाले दिनों में बांग्लादेश न बन जाए पश्चिम बंगाल
विजयवर्गीय ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘हम पश्चिम बंगाल के आगामी विधानसभा चुनावों में मालदा की घटना को चुनावी मुद्दा नहीं बनाना चाहते. लेकिन इस प्रदेश के लोगों को इस बात की चिंता जरूर करनी चाहिये कि अगर ममता और उनकी सरकार इस घटना में शामिल लोगों के पक्ष में यूं ही खड़ी रहती है, तो कहीं ऐसा न हो कि पश्चिम बंगाल आने वाले दिनों में मिनी बांग्लादेश बन जाये.’ कांग्रेस नेता मनीष तिवारी द्वारा वर्ष 2012 का सैन्य कूच विवाद उठाये जाने पर भाजपा महासचिव ने कहा, ‘तिवारी के पास अपने दावे के समर्थन में कोई प्रमाण नहीं है. वह अप्रामाणिक बातें कर केवल सनसनी फैलाना चाहते हैं.’
-इनपुट भाषा