
अयोध्या फैसले पर पीस पार्टी ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की. सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ के 9 नवंबर के फैसले पर पुनर्विचार की मांग की. पीस पार्टी ने अपनी याचिका में कहा है कि 1949 तक विवादित स्थल पर मुस्लिमों का अधिकार था.
पीस पार्टी की याचिका के साथ ही मुस्लिम पक्ष की ओर से चार पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल हुईं. मुस्लिम पक्ष की तरफ से जिन चार लोगों की याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुईं, उनमें मिसबाहुद्दीन, मौलाना हसबुल्लाह, हाजी महबूब और रिजवान अहमद शामिल हैं.
इन सभी ने अपनी याचिकाएं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के समर्थन से दाखिल की हैं. इन चारों याचिकाओं के लिए वरिष्ठ वकील राजीव धवन बहस करेंगे. गौरतलब है कि पीस पार्टी की ओर से दायर की गई पुनर्विचार याचिका में दावा किया गया है कि साल 1949 तक मस्जिद में नमाज अदा की जाती थी और 1950 तक वहां भगवान की कोई भी मूर्ति नहीं थी.
पीस पार्टी ने कहा है कि पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट में भी इस बात के साक्ष्य नहीं है कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई. साल 1885 में बाहरी अहाते में राम चबूतरे पर हिंदू पूजा करते थे. आंतरिक हिस्सा मुसलमानों के पास था.