
अयोध्या में जल्द ही राममंदिर निर्माण की मांग करते हुए कई हिंदू संतों ने मंगलवार को कहा कि सरकार को उन सभी को स्वतंत्रता सेनानियों के बराबर मानना चाहिए जिन्होंने राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान अपने जीवन का बलिदान किया या उस समय जेल में रहे थे.
हिंदू धार्मिक संतों की एक सभा में पारित एक प्रस्ताव में कहा गया, ‘यह नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ सरकारों की जिम्मेदारी है कि वे उन लोगों को रामसेवकों का दर्जा दें और उनसे स्वतंत्रता सेनानी जैसा व्यवहार करें जिन्होंने रामजन्मभूमि आंदोलन के दौरान अपने जीवन का बलिदान किया या जेल में रहे.’ यह प्रस्ताव पूरे देश के 50 महामंडलेश्वरों के चार दिवसीय सम्मेलन 'वैचारिक महाकुंभ' में पारित किया गया जिसका आयोजन मुम्बई के पास भायंदर में बीते 29 दिसंबर से एक जनवरी तक किया गया.
गाय को राष्ट्रीय पशु माना जाए
सभा में पारित एक अन्य प्रस्ताव में कहा गया कि उत्तर प्रदेश के अयोध्या में एक राममंदिर का निर्माण जल्द होना चाहिए क्योंकि यह 125 करोड़ हिंदुओं की आस्था का मामला है. इस सम्मेलन का आयोजन अनंतश्री विभूषित महामंडलेश्वर स्वामी चिदंबरानंद सरस्वती महाराज ने किया था और इसमें पारित एक अन्य प्रस्ताव में गाय को राष्ट्रीय पशु और भगवत गीता को राष्ट्रीय साहित्य घोषित करने की मांग भी की गई है.
इससे पहले भी कई हिन्दु सभाओं में राम मंदिर के निर्माण की मांग की जाती रही है. केंद्र में मोदी सरकार और यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद हिन्दू संगठनों ने मंदिर निर्माण की मांग को और तेज कर दिया है. लेकिन ये मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में है.