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युद्ध अपराधों के लिए जमात प्रमुख को सजा-ए-मौत

बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख मतिउर रहमान निजामी को मौत की सजा सुनाई गई है. विशेष पंचाट ने निजामी को 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ हुए मुक्ति संग्राम के दौरान हजारों लोगों के नरसंहार का दोषी पाया है.

aajtak.in
  • ढाका,
  • 29 अक्टूबर 2014,
  • अपडेटेड 9:35 PM IST

बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख मतिउर रहमान निजामी को मौत की सजा सुनाई गई है. विशेष पंचाट ने निजामी को 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ हुए मुक्ति संग्राम के दौरान हजारों लोगों के नरसंहार का दोषी पाया है. पंचाट के मुताबिक इस नरसंहार में निजामी की भूमिका रही है, वहीं निजामी को सजा सुनाए जाने के बाद हिंसा की आशंका जाहिर की गई है.

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तीन सदस्यीय बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय अपराध पंचाट के अध्यक्ष न्यायाधीश इनायतुर रहीम ने कड़ी सुरक्षा के बीच अदालत कक्ष में सजा सुनाते हुए कहा, ‘उसको तब तक फांसी पर लटकाया जाए जब तक कि उसका प्राणांत न हो जाए.’ पंचाट ने अपने फैसले में कहा कि निजामी ने जो अपराध किए गए हैं उनकी गंभीरता इतनी अधिक है कि वह मौत से कम की सजा के हकदार नहीं हैं. अदालत ने सर्वसम्मत फैसले में कहा कि 71 वर्षीय जमात नेता के खिलाफ लगाए गए युद्ध अपराध के 16 आरोपों में से आठ बिना किसी शक के साबित हो गए.

प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि निजामी अदालत में मौजूद थे और जजों द्वारा 204 पन्नों का फैसला सुनाए जाने के समय वह भावशून्य खड़े रहे. फैसला सुनाए जाने में एक घंटे से अधिक का समय लगा. फैसले में कहा गया, ‘उसे मौत की सजा नहीं दी जाती है तो यह न्याय की विफलता होगी.’ पंचाट ने कहा कि निजामी ने अत्याचार करने के लिए इस्लाम की गलत व्याख्या की और जमात की छात्र शाखा, इस्लामी छात्र संघ के तत्कालीन अध्यक्ष के नाते उन्होंने संगठन को कुख्यात अल बद्र मिलिशिया ताकतों में बदल दिया और इसके जरिए व्यापक पैमाने पर नरसंहार, विशेष रूप से प्रमुख प्रबुद्ध लोगों को निशाना बनाया गया.

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फैसले को दी जा सकती है चुनौती
युद्ध अपराध कानून के तहत निजामी सुप्रीम कोर्ट में फैसले को चुनौती दे सकते हैं. निजामी के वकीलों ने कहा कि उनकी शीर्ष अदालत के समक्ष अपील दाखिल करने की योजना है. 2001 से 2006 के दौरान बीएनपी की अगुवाई वाली चार दलीय गठबंधन सरकार में मंत्री रहे निजामी युद्ध अपराधों में सजा पाने वाली अंतिम जानी मानी शख्सियत हैं. अवामी लीग द्वारा स्थापित दो विशेष पंचाटों ने अभी तक युद्ध अपराध के दस मामलों में फैसला सुनाया है. निजामी के खिलाफ आरोपों में संथिया उपजिला में एक हिंदू मंदिर के सामने कई लोगों को मौत के घाट उतारने, पाबना के बड़ा उपजिला में 72 घरों को आग लगाने और 70 लोगों की हत्या करने व देमरा और बौशिया गांवों में 450 लोगों की हत्या करने के आरोप शामिल हैं.

युद्ध अपराध मामलों की सुनवाई में बुधवार के फैसले से एक महत्वपूर्ण चरण समाप्त हो गया है. फैसले के तुरंत बाद जमात कार्यकर्ताओं ने फैसले का विरोध किया और तीन दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान करते हुए बयान जारी किया. सरकार ने फैसले से पूर्व प्रमुख शहरों और जमात के गढ़ माने जाने वाले इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी करते हुए पैरामिलिट्री बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश और त्वरित कार्रवाई बटालियन को तैनात कर दिया. गृह राज्य मंत्री असद उज्जमां खान कमाल ने फैसले से पूर्व कहा था, ‘विध्वंसक कार्रवाई करने वालों या कानून व्यवस्था की समस्या पैदा करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.’

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फैसले के बाद जश्न
इस बीच निजामी को कड़ी सजा दिए जाने की मांग को लेकर अदालत के बाहर प्रदर्शन कर रहे सैंकड़ों युवकों ने फैसले के बाद जश्न मनाया. ‘गणजागरण मंच’ के बैनर तले एकत्र युवाओं तथा 1971 के स्वतंत्रता सेनानियों ने फैसले पर संतोष जाहिर किया. लेकिन, कई लोगों को अदालत परिसर के बाहर रोते देखा गया. पंचाट ने 24 जून को इस मामले में अपने फैसले को स्थगित कर दिया था. जेल प्रशासन ने पंचाट को सूचित किया था कि उच्च रक्तचाप के कारण वह आरोपी को अदालत में पेश करने में सक्षम नहीं है. उस समय तीन सदस्यीय पंचाट ने अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष के वकीलों से सलाह मशविरा कर फैसले को टाल दिया था. दोषी ठहराए जाने के दौरान निजामी ने खुद को ‘निर्दोष’ बताते हुए कहा था कि 1971 के नरसंहार के लिए पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के तत्कालीन नेता जुल्फिकार अली भुट्टो पूरी तरह जिम्मेदार थे.

साल 1971 के युद्ध अपराध आरोपों में दोनों विशेष पंचाट अभी तक आठ लोगों को मौत की सजा सुना चुकी हैं, जबकि दो अन्य को मृत्यु पर्यन्त जेल में रखने की सजा दी गई है. इनमें से केवल एक जमात के संयुक्त सचिव अब्दुल कादिर मुल्ला को फांसी दी गई है. दोषी ठहराए गए दस लोगों में से आठ जमात के वरिष्ठ नेता हैं जबकि बाकी दो पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के नेता हैं.

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-इनपुट भाषा से

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