
नोटबंदी के समय में लोगों को परेशानी तो बहुत हुई लेकिन इस समय बैंक कर्मचारी हीरो के रुप में उभर कर सामने आए हैं. ये अलग बात है कि अधिकतर बैंक वाले लोगों की निगाह में विलेन बन चुके हैं. लेकिन कुछ बैंकर ऐसे भी रहे जिन्होंने लीक से हटकर काम किया.
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महज दो हजार रुपये के लिए घंटों कतार में लगे लोगों को कुछ सहूलियत मुहैया कराई. इनमें से एक हैं कनॉट प्लेस में इंडियन बैंक की मेन ब्रांच के बैंकर्स. आउटर सर्कल पर इस ब्रांच के एटीएम में चौबीसों घंटे नकदी भरी रही. लोग नोट निकालते भी रहे. कतार लंबी रही फिर भी लोग यहीं आते हैं क्योंकि काम जल्दी निपटता है.
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इंडियन बैंक के सहायक जनरल मैनेजर महेश बजाज ने बताया कि 'इस खास इंतजाम को सुचारु रूप से चलाने के लिए पूरे स्टाफ की टीम ने अपना अपना रोल अदा किया. हम रात को दस से ग्यारह के बीच डिनर निपटा कर टहलते हुए ब्रांच तक आते और दफ्तर खोलकर एटीएम में रुपये भरवाते रहे. ताकि रात में भी लोग पैसे निकाल सकें. कई बार तो सुबह पांच बजे भी हमने बैंक खोलकर एटीएम में रुपये भरे हैं. जिस रात तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता का निधन हुआ उस रात भी सवा बजे हमने इस बैंक के एटीएम के आगे लंबी कतार देखी. इसके अलावा बैंक में दृष्टिहीन स्टाफ सिराजुद्दीन खान ने कतार में खड़े लोगों से डिजिटल बैंकिंग और मोबाइल से पेमेंट करने के तौर तरीके और तकनीक बताकर ना केवल उनकी जानकारी बढ़ाई बल्कि टाइमपास कर क्राउड मैनेजमेंट भी किया.'
महेश बजाज के मुताबिक उनके बैंक के दो अफसर नोटबंदी के बाद ही रिटायर हुए. वो बैंक के पूरे स्टाफ को पार्टी देना चाहते थे. लेकिन स्टाफ ने तय किया कि पार्टी तो कतार में खड़े आम आदमियों को दी जानी चाहिए. बस एक दिन पांच सौ ब्रेड पकौड़े मंगाकर बांटे गए और दूसरे दिन समोसे और चाय.
एक दिन गुरुद्वारे से खीर मंगाई गई और कतार में खड़े लोगों को बांट दी गई. पीने के पानी की सुविधा तो तो अब तक जारी है. इतना ही नहीं, बैंक का पूरा स्टाफ भी जुटा पड़ा है इस उम्मीद में कि हालात जल्दी ही सामान्य हो जाएंगे.