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झारखंड के भीतर खुले में शौच करने वालों को ढूंढ रहे बीडीओ...

झारखंड राज्य में प्रखंड विकास पदाधिकारियों को दी गई नई जिम्मेदारी. खुले में शौच करने वालों को समझाने के लिए करना पड़ रहा पूरे क्षेत्र का दौरा और करनी है रोजाना रिपोर्टिंग.

खुला शौच (प्रतीकात्मक तस्वीर) खुला शौच (प्रतीकात्मक तस्वीर)
धरमबीर सिन्हा
  • रांची,
  • 15 जनवरी 2017,
  • अपडेटेड 4:34 AM IST

झारखंड को 2018 तक खुले में शौच से मुक्त यानि ODF बनाने की मुहिम राज्य के प्रखंड विकास अधिकारियों पर भारी पड़ रही है. दरअसल झारखण्ड सरकार की घोषणा के बाद जिले के उपायुक्तों ने इनके जिम्मे यह काम सौंपा है कि वे सुबह के 5 बजे उठकर अपने क्षेत्र का भ्रमण करें और यदि कोई खुले में शौच के लिए जाता दिखे तो उसे समझाएं.
उसके ऐसा करने पर इससे होनेवाली बीमारियों और संक्रमण के बारे में बताएं और शौचालय के इस्तेमाल को प्रेरित करें. इसके अलावा उसे गुलाब का फूल भेट करें. इस मुहिम का नाम मॉर्निंग फॉलोअप दिया गया है. ऐसे लोगों की वजह से सरकार की मुहिम को धक्का लग रहा था. हालांकि प्रखंड विकास अधिकारियों के साथ इस टीम में पंचायत सेवकों और स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया गया है.

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महिला अधिकारियों को हो रही है परेशानी
दरअसल इस मुहिम ने महिला अधिकारियों के सामने एक असहज स्थिति खड़ी कर दी है. उन्हें पुरुषों को समझाना एक बड़ी मुसीबत बन गया है. उन्हें मॉर्निंग फॉलोअप मुहिम की डेली रिपोर्टिंग अपने उच्चाधिकारियों को करनी होती है. हालांकि लिखित तौर पर अबतक किसी अधिकारी ने विरोध नहीं जताया है.

क्या कहते है आंकड़े?
राज्य में 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक ग्रामीण इलाकों के 93 फीसद घरों में शौचालय नहीं थे. इन इलाकों के 51 लाख घरों में से तकरीबन 37 लाख घरों में शौचालय बनवाया ही नहीं गया था. 2 अक्टूबर 2014 से चल रहे स्वच्छता अभियान के तहत अब तक करीब 8 लाख शौचालयों का निर्माण कराया गया है. इसके लिए सरकार 12 हजार रुपये बतौर अनुदान देती है. अब तक राज्य के 1313 गांव और 225 पंचायत ODF घोषित किये जा चुके हैं.



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