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झारखंड के गोड्डा जिले में कोयला खदान धंसने की वजह से अंदर फंसे 10 लोगों के शव निकाले गए हैं. इस हादसे में 35 डंपर गाड़ियों और उसमें सवार 40 से ज्यादा मजदूरों के अब भी खदान में फंसे होने की आशंका है. इन मजदूरों को निकालने की कोशिशें जारी हैं और बचाव कार्य में मदद के लिए पटना से एनडीआरएफ की चार टीमों के साथ रांची से भी एक टीम घटना स्थल पर पहुंच रही है.
सीआईएसएफ ने साथ ही बताया कि बचाव कार्यों में मदद के लिए शीतलपुर स्थित ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड (ईसीएल) मुख्यालय से अतिरिक्त पुलिसकर्मी घटना स्थल पर पहुंच चुके हैं और बचाव कार्य जारी है.
राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास हालात पर करीबी नजर बनाए हुए हैं और अधिकारियों से राहत कार्य में तेजी लाने को कहा है. इसके साथ ही उन्होंने हादसे में जान गंवाले वालों के परिवारों के लिए 2 लाख रुपये और घायलों को 25,000 रुपये के मुआवजे का ऐलान किया है. वहीं ईसीएल कंपनी ने भी मृतक के आश्रितों को 5-5 लाख रुपये का मुआवजा देना का ऐलान किया है, जो कि मजदूर मुआवजा एक्ट के तहत भी मिलने वाले लाभ से अलग होगा. उधर ऊर्जा एवं कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि उन्होंने हालात का जायजा लेने के साथ ही हादसे की जांच के आदेश दिए है.
बता दें कि ईसीएल की राजमहल परियोजना में महालक्ष्मी आउटसोर्सिंग कंपनी के कर्मी रात में माइनिंग का काम कर रहे थे. खदान में 200 फीट तक डीप माइनिंग चल रही थी, तभी पूरा मलबा ढह गया. इस वजह से खदान के अंदर जाने का रास्ता पूरी तरह बंद हो गया और करीब 40 से ज्यादा मजदूर अंदर ही फंस गए.
घटनास्थल पर मौजूद लोगों के मुताबिक, घटना के समय खदान ऊपरी सदह पर ही काम हो रहा था, तभी अचानक हाई वॉल धस गया. उन्होंने साथ ही बताया कि मिट्टी में दबे ज्यादातर लोग ठेका मजदूर हैं. चश्मदीदों ने बताया कि ओपनकास्ट की इस परियोजना में मिट्टी धंसने से 35 से ज्यादा डंपर और 4 पे-लोडर दब गए.
बताया जा रहा है कि पहाड़िया टोला साइट पर छह महीने पहले ही मिट्टी में दरार आ गई थी. इसके बाद मजदूरों ने वहां काम करने से इनकार कर दिया था, लेकिन महालक्ष्मी कंपनी ने 27 दिसंबर को फिर से उस साइट पर काम शुरू करा दिया गया. इससे स्थानीय लोगों में अपनी सुरक्षा को लेकर आशंका थी, जो कि इस हादसे के बाद गुस्से में तब्दील हो गई और उन्होंने कंपनी दफ्तर पर पत्थराव भी किया.