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महाराष्ट्र में गाय का मांस बेचना और रखना कानूनन अपराध बन गया है. कानून के बनते ही, राजनीति से लेकर सोशल मीडिया पर, महाराष्ट्र में गौ हत्या पर लगी पाबंदी विवादों में घिर गई है.
19 साल पहले बीजेपी-शिवसेना सरकार ने महाराष्ट्र में गौ हत्या पर प्रतिबंध का विधेयक पारित किया था. सोमवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की मंजूरी के बाद आखिरकार वो कानून बन गया. राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने इसपर खुशी जाहिर करते हुए ट्वीट किया-
वैसे तो 1976 से महाराष्ट्र में गौ हत्या पर प्रतिबंध है. लेकिन स्थानीय प्रशासन से fit to slaughter का एक सर्टिफिकेट हासिल कर बछड़ो और गायों की हत्या की जा सकती थी. 1995 में एक कदम आगे बढ़ते हुए बीजेपी-शिवसेना सरकार ने महाराष्ट्र पशु संरक्षण कानून में बदलाव किया था. हालांकि उसके बाद आई केंद्र सरकारों ने इस विधेयक पर राष्ट्रपति की मुहर नहीं लगवाई. राज्य में भी कांग्रेस के नेतृत्व में बनी सरकार ने विधेयक को कानून में बदलने की बीजेपी की मांग का कोई जवाब नहीं दिया.
गौ मांस का व्यापार करने वालों की मानें तो ये प्रतिबंध कईयों से रोजगार छीन लेगा. साथ ही दूसरी तरह के मीट के दाम बढ़ेंगे. मुंबई बीफ एक्सपोर्ट्स यूनियन के अध्यक्ष मोहम्मद कुरैशी ने कहा, 'इस काननू से सबसे बड़ा नुकसान कुरैशी और खातिक समुदाय का होगा. उन्होंने कहा, 'जब यह खबर सामने आई है इन दोनों समुदाय के लोग सदमे में हैं. ये पढ़े लिखे नहीं होते हैं. इसलिए अब उनके पास गुजारा करने के लिए कोई और रास्ता नहीं बचा है.'
माना जा रहा है कि बीफ पर बैन से अब सारा भार भैंसों की मीट पर शिफ्ट हो जाएगा. इससे मीट के दाम बढ़ जाएंगे. चमड़ा उद्योग को भी नुकसान हो सकता है. साथ ही दवाई बनाने वालों को भी परेशानी होगी.
सोशल मीडिया पर भी गौ मांस पर लगे प्रतिबंध पर कड़ी प्रतिक्रिया दी गई. ट्विटर पर #BeefBan से ये मुद्दा मंगलवार रात तक सबसे चर्चित विषय बन गया.
इस प्रतिबंध के विवादों में घिरने से और इसके धार्मिक मुद्दा बनने की वजह से इसे लागू करने में भी मुश्किल आ सकती है. कईयों का ये भी मानना है कि ये प्रतिबंध काला बाजारी को भी जन्म देगा.