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'तलाक, तलाक, तलाक' पर बैन चाहते हैं देश के 50 हजार से ज्यादा मुस्लिम

नेशनल कमिशन फॉर वुमेन की चीफ डॉक्टर ललिता कुमारमंगलम को लिखी चिट्ठी में BMAA ने कहा है कि 'मुस्लिम महिलाओं को भी संविधान में अधिकार मिले हैं, अगर कोई कानून समानता और न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है तो उस पर रोक लगनी चाहिए.

नेशनल कमिशन फॉर वुमेन से मांगी मदद नेशनल कमिशन फॉर वुमेन से मांगी मदद
प्रियंका झा
  • नई दिल्ली,
  • 01 जून 2016,
  • अपडेटेड 12:47 PM IST

देश के पचास हजार से ज्यादा मुस्लिम महिलाएं और पुरुष चाहते हैं कि 'ट्रिपल तलाक' यानी तीन बार तलाक कहने पर रोक लगे. भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन (BMMA) ने तीन बार तलाक कहने को बैन करने के लिए एक अभियान शुरू किया है. इसके तहत एक याचिका तैयार की गई है, जिसपर 50 हजार मुस्लिमों ने हस्ताक्षर किए हैं.

BMAA ने नेशनल कमिशन फॉर वुमेन (NCW) से भी इस अभियान को अपना समर्थन देने के लिए संपर्क किया है. याचिका पर गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, केरल, उत्तर प्रदेश राज्यों के मुस्लिमों ने हस्ताक्षर किए हैं. BMAA की संयोजक नूरजहां साफिया नियाज के मुताबिक आने वाले दिनों में और लोग इस अभियान को अपना समर्थन देंगे.

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नेशनल कमिशन फॉर वुमेन की चीफ डॉक्टर ललिता कुमारमंगलम को लिखी चिट्ठी में BMAA ने कहा है कि 'मुस्लिम महिलाओं को भी संविधान में अधिकार मिले हैं, अगर कोई कानून समानता और न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है तो उस पर रोक लगनी चाहिए. ठीक उसी तरह जैसे दूसरे समुदायों में होता है. चिट्ठी में यह भी लिखा गया है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ को पूरी तरह से बदलने में समय लगेगा, लेकिन तब तक 'ट्रिपल तलाक' पर बैन लगाने से लाखों मुस्लिम महिलाओं को राहत मिलेगी.'

बता दें कि कुछ मुस्लिम धर्म गुरुओं ने इस कदम का विरोध किया है क्योंकि वे 'तलाक' को भगवान के कानून का हिस्सा मानते हैं. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी इसका विरोध करने की घोषणा की है. बता दें कि ईरान, मोरक्को और जॉर्डन जैसे कुछ मुस्लिम देशों में जबानी तौर पर दिए तलाक पर रोक है.

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