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भीमा कोरेगांव केस: पुणे पुलिस का दावा, जेएनयू में नक्सलवाद फैलाने की थी योजना

विशेष सरकारी वकील ने अदालत को बताया कि दिल्ली जवाहरलाल विश्वविद्यालय में नक्सलवाद की और छात्रों को बहकाने के  मगसद से मारे गए नक्सलवादी नवीन बाबू के याद में लेक्चर सीरीज शुरू करने वाले थे. पुलिस का दावा है कि इस लेक्चर सीरीज के दौरान भड़काऊ पत्र बांटने का आयोजन किया गया था.

फाइल फोटो फाइल फोटो
पंकज खेळकर /विकास जोशी
  • पुणे,
  • 15 जून 2018,
  • अपडेटेड 12:13 AM IST

पुणे पुलिस ने पुणे यलगार परिषद पुलिस केस में एक और नये  खुलासे का दावा किया है. विशेष सरकारी वकील ने अदालत को बताया कि इस केस में गिरफ्तार आरोपी दिल्ली जवाहरलाल विश्वविद्यालय में नक्सलवाद फैलाने और छात्रों को बहकाने के मकसद से नक्सलवादी नवीन बाबू की याद में लेक्चर सीरीज शुरू करने वाले थे. पुलिस का दावा है कि इस लेक्चर सीरीज के दौरान भड़काऊ पत्र बांटने का आयोजन होना था.

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अदालत ने चार आरोपियों की पुलिस कस्टडी बढ़ाई

प्रतिबंधित संगठन- सीपीआई माओवादी से संबंध रखने के चार आरोपियों की सात दिन की पुलिस कस्टडी गुरुवार को खत्म हो रही थी. गुरुवार दोपहर तीन बजे UAPA के चारों आरोपियों को पुणे सेशन्स कोर्ट के न्यायाधीश के डी वडने के सामने पेश किया गया.

जिला सत्र अदालत के न्यायाधीश के सामने सरकारी वकील ने सात दिन की कस्टडी के तफ्तीश का ब्यौरा देते हुए बताया कि दिल्ली से गिरफ्तार किये गए रोना विल्सन के घर से कुछ पत्र बरामद हुए थे. इससे पता चला कि दिल्ली जवाहरलाल विश्वविद्यालय में छात्रों को बहकाने के  मकसद से मारे गए नक्सलवादी नवीन बाबू की याद में लेक्चर सीरीज शुरू करने वाले थे. इस लेक्चर सीरीज के दौरान भड़काऊ पत्र बांटने की योजना थी.

विशेष सरकारी वकील उज्वला पवार ने अदालत को बताया के रोना विल्सन के घर से अस्सी हजार रुपये नगद बरामद किये गए थे. रोना विल्सन ने इन 80 हजार रुपयों का हिसाब देने में बिलकुल सहयोग नहीं किया. अदालत को दो गुप्त पत्र पढ़ने को दिए जिससे, ये साबित करने का प्रयास किया गया कि तफ्तीश सही दिशा में जा रही है. आरोपी रोना विल्सन के घर से रिकवर किया गया 25 टेरा बाइट डेटा और FSL फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी से ही 25 टेरा बाइट डेटा की सीडी बनाई है. सरकारी वकील ने बताया कि यलगार परिषद तो सिर्फ दिखाने के लिए थी, इसके पीछे एक बड़ी साजिश रची गयी थी.

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आरोपियों के तीन वकीलों ने उनके मुवक्किल की और से पक्ष रखने की कोशिश की. एक वकील ने बताया कि यलगा परिषद के मुख्य आयोजक पूर्व मुख्य न्याधीश बीजी कोलसे पाटिल और पूर्व मुख्य न्याधीश पीबी सावंत दोनों है और कबीर कला मंच है जो कि एक सांस्कृतिक कला संगठन है. इन्होंने सरकार के खिलाफ संवैधानिक तरीके से विरोध जताने के लिए गाने गए थे.

आरोपी महेश  राउत के वकील  एडवोकेट शाहिद अख्तर ने बताया कि सभी आरोप बेबुनियाद हैं. पुलिस की जांच से राजनैतिक रंजिश की बू आ रही है. वहीं,  डॉ तोसिफ शेख, और डॉ. कुमार कालेल ने आजतक से बात करते हुए बताया कि 7 जून की रिमांड रिपोर्ट और 14  जून की रिमांड रिपोर्ट शत प्रतिशत कॉपी पेस्ट है. जांच में कोई नई तफ्तीश नहीं हुई बल्कि 14  जून की रिमांड रिपोर्ट में पुलिस ने हाथ से लिखा कि आरोपी रोना विंसन से 80 हजार जब्त किए हैं. यह पिछली रिमांड रिपोर्ट में नहीं था. मतलब सिर्फ रिमांड लेने के लिए पुलिस हर बार कुछ नई बात सामने ला रही है.

रोना विल्सन का वकालतनामा पहले एडवोकेट अलूर संभल रहे थे. आज अचानक एडवोकेट अलूर ने अदालत को बताया कि वह रोना विल्सन की वकालत नहीं करेंगे.

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