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बिहार: चिराग का 94 सीटों पर चुनाव लड़ने का संकेत, क्या NDA से अलग रास्ता तलाश रहे?

बिहार में एनडीए के सहयोगी दल लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) चुनाव में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती है. चिराग पासवान की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई पार्टी के संसदीय दल की बैठक में एलजेपी ने बिहार के 94 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी के संकेत दिए हैं. ऐसे में सवाल उठने लगा है कि क्या चिराग पासवान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए से अलग रास्ता तलाश रहे हैं?

केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान और चिराग पासवान केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान और चिराग पासवान
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 10 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 2:32 PM IST

  • एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर सहमति नहीं
  • 2015 में एलजेपी ने 42 सीटों पर लड़ा था चुनाव

बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एनडीए के सहयोग दलों को बीच तल्खी बढ़ती जा रही है. एनडीए के सहयोगी दल लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) चुनाव में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती है. चिराग पासवान की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई पार्टी के संसदीय दल की बैठक में एलजेपी ने बिहार के 94 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी के संकेत दिए हैं. ऐसे में सवाल उठने लगा है कि क्या चिराग पासवान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए से अलग रास्ता तलाश रहे हैं?

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बिहार में एनडीए के बीजेपी, जेडीयू और एलजेपी के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. एनडीए में नीतीश कुमार के चेहरे को लेकर भले ही सभी सहमति हो, लेकिन सीट शेयरिंग के तालमेल को लेकर सहयोगी दलों के बीच मतभेद साफ नजर आ रहे हैं. एलजेपी अध्यक्ष चिराग पासवान की अगुआई में उनके दिल्ली स्थिति आवास पर गुरुवार को हुई एलजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक में पार्टी ने फिलहाल 94 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी का ऐलान किया है.

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एलजेपी संसदीय दल की बैठक के बाद पार्टी नेता राजू तिवारी ने कहा कि संगठन बिहार में विधानसभा की 94 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार है और जल्द अन्य 149 सीटों के बूथ लिस्ट जमा किए जाएंगे. सभी बूथ एजेंट से प्रदेश संसदीय बोर्ड बैठक कर पार्टी के विचारों से अवगत कराएगी और उन्हें पार्टी की शपथ दिलाकर बिहार फर्स्ट-बिहारी फर्स्ट के बारे में बताएगी. राजू तिवारी ने कहा कि सभी प्रत्याशी चिराग पासवान के हर फैसले के साथ हैं. हर स्थिति के लिए प्रत्याशियों ने तैयारी कर रखी है.

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एलजेपी बिहार की सभी सीटों पर चुनाव तैयारियों में जुटी है, जिसे प्रेशर पॉलिटिक्स के तौर पर भी देखा जा रहा है. हालांकि, चिराग पासवान ने पिछले दिनों कार्यकर्ताओं को कहा था, 'बिहार में गठबंधन का स्वरूप बदल रहा है और पार्टी कार्यकर्ताओं को हर परिस्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए. एलजेपी को बिहार चुनाव को लेकर अपनी तैयारी पूरी रखनी चाहिए और अगर जरूरत पड़ी तो अकेले भी चुनाव लड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए.'

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दरअसल, 2015 के बिहार चुनाव में एलजेपी ने बीजेपी के सहयोगी के तौर पर 42 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, लेकिन इस बार नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी के बाद एलजेपी को पिछली बार की तरह तवज्जो नहीं मिल पा रही है. इसीलिए चिराग पासवान चिंतित नजर आ रहे हैं. एलजेपी 2005 के विधान सभा चुनाव का उदाहरण पेश कर रही है. एलजेपी ने बिना तालमेल के 178 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिनमें 29 पर जीत मिली और उसे 12.62 फीसदी वोट मिले थे. इसी आधार पर वो खास तवज्जो चाहते हैं.

विधानसभा सीट शेयरिंग

लोकसभा चुनाव में एलजेपी को बिहार की 40 में से 6 सीटें दी गई थी. इसके अलावा रामविलास पासवान को बीजेपी ने अपने कोटे से राज्यसभा भेजा है. इसी पैटर्न के तहत एलजेपी विधानसभा चुनाव में करीब 43 सीटों पर दावेदारी कर रही है. वहीं, बिहार की 243 सीटों में से बीजेपी-जेडीयू 105-105 सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बना रही है और शेष 33 सीटें एलजेपी को देना चाहती है, जिस पर चिराग पासवान राजी नहीं है. ऐसे में चिराग पासवान ने अब 94 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर कहीं, एनडीए से अलग रास्ता तो नहीं तलाश रहे हैं.

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