
बिहार की सियासत में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) अपने पैर जमाने की कोशिश में है. एआईएमआईएम ने विधानसभा चुनाव के लिए बिहार के 22 जिलों की 32 सीटों को चिन्हित कर लिया है और इसकी लिस्ट भी जारी कर दी है. साथ ही ओवैसी की पार्टी ने बिहार में समान विचारधारा वाले दलों के साथ गठबंधन करने के भी संकेत दिए हैं.
एआईएमआईएम के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने प्रदेश की 243 विधानसभा सीटों में से 32 सीटों की लिस्ट जारी की है, जिस पर पार्टी अपना कैंडिडेट उतारेगी. हालांकि, बिहार में पार्टी का सबसे मजबूत गढ़ माने जाने वाले किशनगंज जिले की विधानसभा सीटों का ऐलान नहीं नहीं किया है जबकि किशनगंज से पार्टी का एक विधायक भी है.
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अख्तरुल ईमान ने कहा कि हम इस बार सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. इस कड़ी में हम पहले चरण में 32 सीटों का ऐलान कर रहे हैं और जल्द ही बाकी सीटों की भी घोषणा कर देंगे. एआईएमआईएम ने जिन 32 सीटों को चिह्नित की है, उनमें से महज दो सीटें आरक्षित हैं, बाकी सीटें सामान्य जाति के लिए हैं. इनमें से ज्यादातर सीटें मुस्लिम बहुल मानी जाती है. ओवैसी की पार्टी ने कटियार जिले की बलरामपुर, करारी, कदवा तो पूर्णिया जिले की अमौरी, बयासी सीट का ऐलान किया है.
बता दें कि ओवीसी की नजर बिहार के सीमांचल इलाके पर है. सीमांचल में 24 सीटें आती हैं और मुसलमानों की आबादी 40 फीसदी से भी ज्यादा है. ओवैसी की पार्टी ने 2015 में पहली बार बिहार विधानसभा चुनाव लड़ी थी और सभी छह उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा था. हालांकि, ओवैसी ने पहले मुस्लिम प्रभाव वाली सीमांचल की सभी 23 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की घोषणा की थी, लेकिन बाद में महज छह उम्मीदवार ही उतारे थे.
ओवैसी की पार्टी उपचुनाव में खुला खाता
बिहार में ओवीसी की पार्टी AIMIM ने पिछले साल उपचुनाव में खाता खोलने में कामयाब रही है. लोकसभा चुनाव के बाद बिहार के किशनगंज सीट पर हुए चुनाव में उनकी पार्टी के उम्मीदवार कमरुल होदा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए जीत दर्ज की थी. इसका असर सीमांचल की राजनीति में साफ दिख रहा है. मुस्लिम वोटरों के एक बड़े तबके का ओवैसी की पार्टी की तरफ झुकाव बढ़ा है, जिसका सीधा राजनीतिक नुकसान आरजेडी को उठाना पड़ सकता है.
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दरअसल लोकसभा चुनाव में किशनगंज एक सीट ऐसी रही जहां लड़ाई आमने-सामने की नहीं थी बल्कि कांग्रेस के मो. जावेद, जेडीयू के सैय्यद महमूद अशरफ और एआईएमआईएम के अख्तरुल इमान के बीच त्रिकोणीय मुकाबला रहा था. एआईएमआईएम को यहां 2 लाख 95 हजार 29 वोट आए जो कुल वोट का 26.78 प्रतिशत था. जबकि, कांग्रेस को 3 लाख 67 हजार 17 वोट आया जो 33.32 प्रतिशत था और जेडीयू को 3 लाख 32 हजार 551 वोट आया, जो कुल वोट का 30.19 फीसदी रहा.
किशनगंज लोकसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी को कोचाधामन विधानसभा सीट में लीड मिली थी. उनके उम्मीदवार को 68024, जेडीयू को 38,721 और कांग्रेस को 36,984 वोट मिले थे. इसी तरह बहादुरगंज में भी एआईएमआईएम को 67,625, जेडीयू को 52,486 और कांग्रेस को 44,492 वोट मिले थे. अमौर विधानसभा क्षेत्र जेडीयू से भी अधिक वोट मिले थे.