Advertisement

बिहार: तेजस्वी की माफी से कितनी बदलेगी लालू के उत्तराधिकारी की राजनीतिक छवि?

बिहार की सियासत में जेडीयू-बीजेपी गठबंधन लालू-राबड़ी के 15 सालों के कार्यकाल को जंगलराज के तौर पर पेश कर आरजेडी पर निशाना साधते हुए जनता के बीच मुद्दा बनाता रहा है. ऐसे में लालू यादव के सियासी विरासत संभाल रहे तेजस्वी यादव ने अपने माता-पिता लालू-राबड़ी के शासनकाल में हुई गलतियों के लिए माफी मांग कर विपक्ष के राजनीतिक चक्रव्यूह को तोड़ने की कोशिश की है.

आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 03 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 9:47 AM IST

  • बिहार में लालू-राबड़ी का 1989 से 2005 तक रहा राज
  • लालू-राबड़ी के 15 साल बनाम नीतीश कुमार के 15 साल
  • तेजस्वी यादव आरजेडी की छवि को बदलने में जुटे हैं

बिहार विधानसभा चुनाव में लालू-राबड़ी के 15 साल बनाम नीतीश कुमार के 15 साल के बीच राजनीतिक बिसात बिछाई जाने लगी है. जेडीयू-बीजेपी गठबंधन लालू-राबड़ी के 15 सालों के कार्यकाल को जंगलराज के तौर पर पेश कर आरजेडी पर निशाना साधते हुए जनता के बीच मुद्दा बनाता रहा है. ऐसे में लालू यादव के सियासी विरासत संभाल रहे तेजस्वी यादव ने अपने माता-पिता लालू-राबड़ी के शासनकाल में हुई गलतियों के लिए माफी मांग कर विपक्ष के राजनीतिक चक्रव्यूह को तोड़ने की कोशिश की है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या तेजस्वी यादव माफी मांगकर अपनी और पार्टी की छवि को बदल पाएंगे.

Advertisement

तेजस्वी यादव ने मांगी माफी

आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने पार्टी के एक कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि 15 साल के आरजेडी शासनकाल के दौरान अगर किसी प्रकार की गलतियां हुई हैं तो वह उसके लिए माफी मांगते हैं. उन्होंने कहा कि लालू शासनकाल के दौरान जो भी हुआ, उस वक्त हुआ जब हम छोटे थे और सरकार में क्या हो रहा था कुछ नहीं जानते थे?

ये भी पढ़ें: बिहार में लालू-राबड़ी राज में हुई गलतियों के लिए तेजस्वी यादव ने मांगी माफी

तेजस्वी यादव ने कहा, 'ठीक है, 15 साल हम सत्ता में रहे, लेकिन हम तो सरकार में नहीं थे. हम तो छोटे थे लेकिन फिर भी हमारी सरकार रही. इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता है कि लालू प्रसाद ने सामाजिक न्याय किया.' उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद ने बिहार में सामाजिक न्याय किया. वह दौर अलग था. हालांकि, अगर इसी प्रकार की बहुमूल्य कमी हुई हो तो उसके लिए वह माफी मांगते हैं.

Advertisement

तेजस्वी यादव ने कहा कि जनता अगर उन्हें एक मौका देगी तो वह बिहार में विकास की गंगा बहा देंगे. नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि आप एक कदम चलेंगे तो मैं चार कदम चलकर आपकी आशा और विश्वास को पूरा करूंगा. सभी नौजवानों को रोजगार दूंगा. राज्य में विकास की गंगा बहा कर हर घर मे खुशहाली लाने की कोशिश करूंगा. हमारी पार्टी सभी की पार्टी है और हम सबको सम्मान देंगे. जात-पात से ऊपर उठकर सब को साथ लेकर चलेंगे. सभी जाति और धर्म को विधानसभा मे प्रतिनिधित्व देंगे.

ये भी पढ़ें: बिहार में महागठबंधन में मांझी-कुशवाह बेचैन, एनडीए में एलजेपी को सता रही चिंता

बता दें कि 1989 के आखिर से लेकर 2005 तक बिहार में लालू यादव के राष्ट्रीय जनता दल का शासन रहा. इस दौरान बिहार की सियासत में राजनीति और अपराध में तालमेल देखा गया. भ्रष्टाचार, अपराधियों के राजनीतिक संरक्षण, उनके राजनीति में प्रवेश, रंगदारी और किडनैपिंग के मामलों का पूरे बिहार में वर्चस्व कायम था. बीजेपी-जेडीयू ने बिहार में इस अपराध के फलने-फूलने के लिए लालूराज को जिम्मेदार ठहराते आ रहे हैं. इतना ही नहीं आरजेडी के 15 साल के शासन को बिहार में जंगलराज का नाम नीतीश कुमार ने ही दिया था.

लालू-राबड़ी के 15 साल को नीतीश बनाते रहे चुनावी मुद्दा

Advertisement

नीतीश कुमार ने लालू के 15 साल के राज को ही मुद्दा बनकर बदलाव की उम्मीद लोगों में जगाकर नवंबर 2005 में बिहार में सत्ता की कमान संभाली थी और पिछले 15 साल से काबिज हैं. नीतीश कुमार इस बार के विधानसभा चुनाव में भी लालू-राबड़ी के 15 साल का मुद्दा बना रहे हैं. जानकारों की मानें तो नीतीश कुमार अगर लालू-राबड़ी युग की याद दिलाकर वोट मांगने की रणनीति पर काम कर रहे हैं तो ये उनके लिए अपने वोटर को गोलबंद करने में सहायक हो सकता हैं.

हाल के दिनों नीतीश कुमार ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जेडीयू बूथ कार्यकर्ताओं से बातचीत के दौरान कहा था कि हमने पंद्रह सालों में हर क्षेत्र में काफी काम किया है और अगर आप लालू-राबड़ी के 15 सालों से तुलना करेंगे तो जनता को ये बताने की जरूरत नहीं होगी कि आखिर एक बार हमें फिर से वोट क्यों दें?

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार अपने कार्यकर्ताओं से यही बात दोहराते हैं. हालांकि जैसा जिला होता है वैसा उनका भाषण बदल भी जाता हैं. सीवान जिले के कार्यकर्ताओं से बात करते हुए उन्होंने याद दिलाया था कि कैसे 15 साल पूर्व अपराधियों और बाहुबलियों की समानांतर सरकार वहां चलती थी. वैसे ही मुस्लिम बाहुल्य जिलो में बात करते हुए वो अपने सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण के कार्यक्रम की चर्चा करते हैं. नीतीश बिजली के क्षेत्र में 15 साल पूर्व की स्थिति और अब के मौजूदा हालात के बारे में कार्यकर्ताओं को लगातार बता रहे हैं. नीतीश की सहयोगी बीजेपी भी लालू के 15 सालों को मुद्दा बना रही है.

Advertisement

आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद ने तकरीबन पांच साल पहले अपने परिवार के अन्य सदस्यों की दावेदारी को दरकिनार करते हुए अपने छोटे पुत्र तेजस्वी यादव को राजनीतिक उत्तराधिकार सौंपा था. लालू यादव के सपने को आगे बढ़ाने की जिम्मदेरी तेजस्वी यादव के कंधों पर है. ऐसे में बीजेपी-जेडीयू के राजनीतिक चक्रव्यूह को तोड़ने और आरजेडी की छवि को बदलने की तेजस्वी यादव लगातार कोशिश कर रही हैं.

तेजस्वी आरजेडी की छवि बदलने में जुटे

तेजस्वी यादव ने आरजेडी को यादव-मुस्लिम टैग से बाहर निकालकर सर्वसमाज की पार्टी बनाने की कवायद की है. इसी वजह से पहले आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी राजपूत बिरादरी से आने वाले जगदानंद सिंह को सौंपी गई थी और ब्राह्मण चेहरे के तौर पर राज्यसभा सदस्य मनोज झा को पार्टी में आगे बढ़ाया है. ऐसे में पार्टी ने अपने कोर वोटबैंक की जगह भूमिहार तबके से आने वाले अमरेंद्र धारी सिंह को राज्यसभा भेजकर करके बड़ा संदेश देने की कोशिश की है.

बता दें कि 2015 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने एक भी भूमिहार को टिकट नहीं दिया था. कभी लालू यादव ने भूरा बाल (भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण, लाला) साफ करो का नारा दिया था. लालू यादव अपने कोर वोट बैंक एम-वाई (मुस्लिम-यादव) पर ही ज्यादा विश्वास किया करते थे. वहीं, अब तेजस्वी एक तरफ लालू-राबड़ी के शासनकाल में हुई गलतियों के लिए माफी मांग रहे हैं तो दूसरी तरफ पार्टी के जातीय समीकरण को बदलने की कोशिश कर रहे हैं. तेजस्वी आरजेडी के सभी जातियों की पार्टी बताकर छवि बदलने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में देखना है कि तेजस्वी की यह कोशिश चुनाव में कितना असर दिखाती है.

Advertisement

आरजेडी का गिरता वोट ग्राफ

बिहार में आरजेडी के वोट शेयर में लगातार गिरावट आई है. 2004 के लोकसभा चुनाव में आरजेडी को कुल वोटों का 30.7 प्रतिशत मत मिला. बता दें कि जनता दल को 1990 के विधानसभा चुनावों में लालू यादव को पहली बार मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त करने से लगभग 5 प्रतिशत अधिक मत मिला. इसके बाद से आरजेडी का वोट शेयर तब से लगातार गिर रहा है. 2000 लोकसभा चुनाव में 25 फीसदी, 2005 विधानसभा चुनाव में 23.45 फीसदी, 2009 के लोकसभा चुनाव में 19.3 फीसदी, 2010 के विधानसभा चुनाव में 18.8 फीसदी, 2014 के लोकसभा में 20.5 फीसदी प्रतिशत, 2015 के विधानसभा में 18.3 प्रतिशत और 2019 के आम चुनावों में 15.4 प्रतिशत मत आरजेडी को मिला है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement