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मंदिर में जैन मुनि ने की आत्महत्या, सुसाइड नोट बरामद

मंदिर में मौजूद लोगों ने कमरा नंबर 3 का दरवाजा तोड़ दिया. कमरे के अंदर का मंजर देखकर सभी लोगों के होश उड़ गए. वहां छत के पंखे से जैन मुनि की लाश लटक रही थी. उनके गले में प्लास्टिक की रस्सी का फंदा डला हुआ था.

पुलिस मामले की छानबीन कर रही है (फाइल फोटो) पुलिस मामले की छानबीन कर रही है (फाइल फोटो)
परवेज़ सागर
  • भागलपुर,
  • 31 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 11:43 AM IST

बिहार के एक जैन मंदिर में जैन मुनि की संदिग्ध हालत में मौत हो गई. उनकी लाश मंदिर के एक कमरे में छत के पंखे से लटकी हुई मिली. मुनि की मौत से जैन समाज के लोगों में हड़कंप मच गया. पुलिस ने मौके पर जाकर शव को नीचे उतारा और मामले की छानबीन शुरू कर दी. बताया जा रहा है कि यह मामला आत्महत्या का हो सकता है.

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मामला भागलपुर के ललमटिया थाना क्षेत्र का है. जहां कबीरपुर के श्री दिगंबर जैन सिद्धक्षेत्र मंदिर में जैन मुनि विप्रण सागर महाराज चातुर्मास कर रहे थे. वह पैदल बिहारी थे. करीब 6 महीने पहले ही वे गिरीडीह के समवेत शिखर से पैदल यात्रा कर भागलपुर आए थे.

मंगलवार को जैन मुनि दोपहर का आहार लेने के बाद मंदिर के कमरा नंबर 3 में गए थे. उसके बाद वह बाहर नहीं आए. शाम के वक्त करीब 6 बजे जब विप्रण सागर महाराज ने कमरे का दरवाजा नहीं खोला तो वहां जैन समाज के कई लोग जमा हो गए और उनका कमरा खोलने की कोशिश की.

जब दरवाजा नहीं खुला तो वहां मौजूद लोगों ने कमरा नंबर 3 का दरवाजा तोड़ दिया. कमरे के अंदर का मंजर देखकर सभी लोगों के होश उड़ गए. वहां छत के पंखे से जैन मुनि की लाश लटक रही थी. उनके गले में प्लास्टिक की रस्सी का फंदा डला हुआ था. फौरन इस बात की सूचना पुलिस को दी गई.

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घटना की सूचना मिलते ही ललमटिया थाना पुलिस तुरंत श्री दिगंबर जैन सिद्धक्षेत्र मंदिर में जा पहुंची और जैन मुनि विप्रण सागर महाराज का शव नीचे उतरवाया गया. जब पुलिस ने उनके कमरे की तलाशी ली तो वहां से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ. जिसमें उन्होंने अपनी किसी परेशानी की जिक्र तो किया लेकिन परेशानी बताई नहीं. साथ ही लिखा 'हम गलत कर रहे हैं, साधु का ऐसा करना गलत है.'

पुलिस ने पंचनामे की कार्रवाई के बाद जैन मुनि का शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. पुलिस अब इस मामले में हर एंगल से जांच कर रही है. जैन मुनि की मौत से जैन समाज में दुख की लहर है. विप्रण सागर महाराज मध्य प्रदेश के दमोह जिले के रहने वाले थे. उन्होंने 18 साल की आयु में दीक्षा ले ली थी.

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