
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने दो दिन पहले ही फरमान जारी कर दिया था कि बिहार बोर्ड की मैट्रिक की परीक्षा में कोई भी परीक्षार्थी जूते-मोजे पहनकर न आए. बिहार बोर्ड का फरमान था कि सभी छात्र चप्पल पहनकर परीक्षा केंद्रों पर पहुंचे. बिहार बोर्ड के अजीबोगरीब फरमान के बावजूद बुधवार को जब मैट्रिक की परीक्षा शुरू हुई, तो कई छात्र और छात्राएं जूते-मोजे में ही परीक्षा केंद्रों पर पहुंचे.
हालांकि इन परीक्षार्थियों को यह उम्मीद नहीं थी कि बिहार बोर्ड ने जब फरमान जारी किया है, तो वह उस पर अमल भी करेगा. बुधवार को बिहार के अलग-अलग हिस्सों से ऐसी तस्वीरें सामने आना शुरू हो गईं, जहां पर परीक्षार्थियों को जूते और मोजे उतरवाए गए. इसके बाद ही उन्हें परीक्षा केंद्र में एंट्री मिली. परीक्षार्थियों के जूते मौजे उतरवाने को लेकर बिहार बोर्ड ने कोई भेदभाव नहीं किया.
लड़के हो या लड़कियां सभी के जूते, मोजे, सैंडल और बेल्ट उतरवा लिए गए. नतीजा यह हुआ कि बिहार के कई परीक्षा केंद्रों पर परीक्षार्थी नंगे पैर ही परीक्षा हॉल में मैट्रिक की परीक्षा देते नजर आए और एक बार परीक्षाएं समाप्त हो गईं, तो फिर यही छात्र बाहर आकर अपने जूते और मोजे खोजते दिखे. आजतक से बातचीत में पटना के जिलाधिकारी कुमार रवि ने बताया कि बिहार बोर्ड के आदेश अनुसार किसी भी परीक्षार्थी को जूते और मोजे पहनकर परीक्षा केंद्र में घुसने नहीं दिया जा रहा है.
कुमार रवि ने बताया कि बोर्ड के आदेशों का कड़ा पालन किया जा रहा है, ताकि नकलविहीन परीक्षा आयोजित की जा सके. वहीं, प्रथम पाली की परीक्षा खत्म होने के बाद आजतक ने कुछ परीक्षार्थियों से बात की और जानना चाहा कि जिनके जूते और मोजे उतरवा लिए गए थे, क्या उन्हें परीक्षा नंगे पांव देने में कोई परेशानी आई? हालांकि अधिकतर छात्र और छात्राओं ने बिहार बोर्ड के इस फैसले का स्वागत किया और कहा कि नकलविहीन परीक्षा का आयोजन करने के लिए यह बेहद जरूरी कदम है.